मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज फॉर विमेन, चंडीगढ़ ने अपने संस्थापक और उनकी तन्यकता को श्रद्धांजलि देते हुए श्रीमती शकुंतला रॉय मेमोरियल ओरेशन लेक्चर (श्रृंखला में तीसरा) ‘सर्वाइवल एंड रेजिलिएंस अमंग वीमेन: ए ग्लोबल पर्सपेक्टिव’ पर आयोजित किया। प्रो. एलन फर, यूएसए स्थित ऑबर्न यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर एमेरिटस, इस स्फूर्तिदायक व्याख्यान के मुख्य वक्ता थे। प्रो अरुण के ग्रोवर, प्रोफेसर एमेरिटस, पीईसी, चंडीगढ़, श्रीमती नीरा ग्रोवर, पूर्व प्रमुख, संगीत विभाग, एसएनडीटी विश्वविद्यालय, मुंबई, डॉ गुरदीप शर्मा, सचिव, जीजीडीएसडी कॉलेज प्रबंध समिति, हरियाणा, पंजाब और पूर्व पीयू वरिष्ठ सीनेट एवं सिंडीकेट सदस्य, श्रीमती शकुंतला राय की पुत्री श्रीमती मंजू गोसाईं विशिष्ट अतिथि के रूप में इस अवसर पर उपस्थित रहीं । व्याख्यान के दौरान महाविद्यालय के प्रथम बैच की टॉपर श्रीमती मधु राका भी उपस्थित थीं।
व्याख्यान का उद्घाटन करते हुए, प्राचार्या डॉ. निशा भार्गव ने कहा कि संस्थाएँ अपने संस्थापकों और पथ प्रदर्शकों द्वारा किए गए अथक कार्यों के कारण अमर एवं गौरवशाली हो जाती हैं, इस तथ्य के प्रमाण के रूप में एमसीएम 54 वर्षों के शानदार इतिहास के साथ आज एक समृद्ध संस्थान के रूप में जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि श्रीमती रॉय ने विपरीत परिस्थितियों में अत्यधिक तन्यकता दिखाकर इस गौरवशाली संस्थान की मजबूत नींव रखी और संस्थान को गौरव के शिखर पर ले जाना उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी। व्याख्यान की थीम का परिचय देते हुए प्रो. अरुण के. ग्रोवर ने कहा कि 2023 श्रीमती रॉय का जन्मशती वर्ष होने के कारण इस वर्ष के व्याख्यान का विशेष महत्व है। दुनिया भर में महान उपलब्धि हासिल करने वाली महिलाओं की जीवन यात्रा के विषय में अपने विचार व्यक्त करते हुए , प्रो. ग्रोवर ने महिलाओं की अदम्य इच्छा शक्ति पर प्रकाश डाला और छात्राओं को उपलब्धि हासिल करने वाले ऐसे सशक्त व्यक्तियों के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित किया। अपने मनोरंजक व्याख्यान में, प्रो. एलन फर ने सभी से महिलाओं के विषय में अतीत के पूर्वाग्रहों को दूर करने का आह्वान किया क्योंकि 21वीं सदी महिलाओं के युग की शुरुआत है। इस तथ्य पर प्रकाश डालते हुए कि महिलाओं को सदैव समाज के लिए हानिकारक बताया जाता रहा है, प्रो. फर ने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान समय में समाज में लिंग की अवधारणा के पुनर्निर्माण एवं व्याख्या की सख्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हर इंसान के भीतर तन्यकता होती है, उसे जागृत करना आवश्यक है ताकि नकारात्मकता से दूर रहकर सशक्त बने रहें, जीवन में एक उद्देश्य खोजें और जरूरत पड़ने पर मदद माँगें। रूढ़िवादिता के बंधनों को तोड़ने वाली असाधारण भारतीय महिलाओं के उदाहरण साझा करते हुए, प्रो. फर ने इस तथ्य पर जोर दिया कि सामाजिक पुनरुत्थान के लिए, महिलाओं को स्वयं के भीतर की योग्यताओं पर विश्वास करना होगा और उनको विकसित करना होगा। व्याख्यान को दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया, श्रोताओं ने स्वयं को तन्यकता विकसित करने के लिए प्रेरित महसूस किया। अपनी माँ के प्रति भावनात्मक भेंट के रूप में, श्रीमती मंजू गोसाईं ने एक शिक्षाविद और प्रशासिका के रूप में श्रीमती रॉय के जीवन की स्मृतियों को साझा किया जो तन्यकता, धैर्य, दृढ़ संकल्प, समर्पण, निस्वार्थता और इच्छाशक्ति की प्रेरक कहानियों से परिपूर्ण थी।
व्याख्यान का उद्घाटन करते हुए, प्राचार्या डॉ. निशा भार्गव ने कहा कि संस्थाएँ अपने संस्थापकों और पथ प्रदर्शकों द्वारा किए गए अथक कार्यों के कारण अमर एवं गौरवशाली हो जाती हैं, इस तथ्य के प्रमाण के रूप में एमसीएम 54 वर्षों के शानदार इतिहास के साथ आज एक समृद्ध संस्थान के रूप में जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि श्रीमती रॉय ने विपरीत परिस्थितियों में अत्यधिक तन्यकता दिखाकर इस गौरवशाली संस्थान की मजबूत नींव रखी और संस्थान को गौरव के शिखर पर ले जाना उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी। व्याख्यान की थीम का परिचय देते हुए प्रो. अरुण के. ग्रोवर ने कहा कि 2023 श्रीमती रॉय का जन्मशती वर्ष होने के कारण इस वर्ष के व्याख्यान का विशेष महत्व है। दुनिया भर में महान उपलब्धि हासिल करने वाली महिलाओं की जीवन यात्रा के विषय में अपने विचार व्यक्त करते हुए , प्रो. ग्रोवर ने महिलाओं की अदम्य इच्छा शक्ति पर प्रकाश डाला और छात्राओं को उपलब्धि हासिल करने वाले ऐसे सशक्त व्यक्तियों के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित किया। अपने मनोरंजक व्याख्यान में, प्रो. एलन फर ने सभी से महिलाओं के विषय में अतीत के पूर्वाग्रहों को दूर करने का आह्वान किया क्योंकि 21वीं सदी महिलाओं के युग की शुरुआत है। इस तथ्य पर प्रकाश डालते हुए कि महिलाओं को सदैव समाज के लिए हानिकारक बताया जाता रहा है, प्रो. फर ने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान समय में समाज में लिंग की अवधारणा के पुनर्निर्माण एवं व्याख्या की सख्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हर इंसान के भीतर तन्यकता होती है, उसे जागृत करना आवश्यक है ताकि नकारात्मकता से दूर रहकर सशक्त बने रहें, जीवन में एक उद्देश्य खोजें और जरूरत पड़ने पर मदद माँगें। रूढ़िवादिता के बंधनों को तोड़ने वाली असाधारण भारतीय महिलाओं के उदाहरण साझा करते हुए, प्रो. फर ने इस तथ्य पर जोर दिया कि सामाजिक पुनरुत्थान के लिए, महिलाओं को स्वयं के भीतर की योग्यताओं पर विश्वास करना होगा और उनको विकसित करना होगा। व्याख्यान को दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया, श्रोताओं ने स्वयं को तन्यकता विकसित करने के लिए प्रेरित महसूस किया। अपनी माँ के प्रति भावनात्मक भेंट के रूप में, श्रीमती मंजू गोसाईं ने एक शिक्षाविद और प्रशासिका के रूप में श्रीमती रॉय के जीवन की स्मृतियों को साझा किया जो तन्यकता, धैर्य, दृढ़ संकल्प, समर्पण, निस्वार्थता और इच्छाशक्ति की प्रेरक कहानियों से परिपूर्ण थी।