पूछा, शहीद किसानों के आंकड़े केंद्र को क्यों नहीं दे रही पंजाब सरकार?
पीडि़त परिवारों को पंजाब और केंद्र की दोनों सरकार दें उचित मुआवजा-‘आप’
चंडीगढ़, 21 जुलाई 2021
आम आदमी पार्टी (आप) के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद भगवंत मान ने काले कृषि कानूनों के विरुद्ध संघर्ष कर रहे किसानों के प्रति केंद्र की मोदी सरकार के क्रूरता और बेरहम रवैये की तीखी आलोचना की है।
मान के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से संसद में बहुत बेशर्मी के साथ यह कहना कि उस (केंद्र सरकार) के पास राजधानी की सीमाओं पर आंदोलन के दौरान दम तोडऩे वाले किसान-मजदूर आंदोलनकारियों की कोई संख्या या रिकार्ड नहीं, यह साबित करता है कि मोदी सरकार की आत्मा मर चुकी है और उसकी (केंद्र) आंखों के सामने दम तोड़ रहा अंनदाता दिखाई नहीं दे रहा।
बुधवार को पार्टी हेडक्वाटर से जारी बयान में भगवंत मान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में हिटलर की तानाशाह आत्मा प्रवेश कर चुकी है, जिस कारण 8 महीनों से सरकार को कड़ाके के सर्दी व भीषण गर्मी के दौरान बीमार हो कर या दुर्घटनाओं में दम तोड़ रहे आंदोलनकारी नजर नहीं आ रहे, जबकि किसानी संघर्ष के लिए कुर्बान होने वाले शहीद किसान रोजाना के अखबारों और मीडिया की सुर्खियां बन रहे हैं।
भगवंत मान ने कहा कि अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे आंदोलनकारी किसानों के प्रति हमदर्दी प्रकट करने की बजाए उनकी मौत को भी अनदेखा करना अति निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है। मान ने कहा,‘ऐसा व्यवहार सत्ता के नशे में अंधा हुआ कोई बदलाखोर तानाशाह ही कर सकता है।’
भगवंत मान ने कहा कि एक मोदी सरकार अपने विरोधियों और आलोचकों के फोनों व कंप्यूटर में घुसकर जासूसी करवा रही है, दूसरी ओर इसके (केंद्र) पास न तो लॉकडाउन के दौरान हजारों किलोमीटर सडक़ों व रेलवे ट्रैकों पर पैदल चलते हुए जान गवाने और स्टेशनों पर भूखे से दम तोड़ते हुए प्रवासी मज़दूरों का आंकडा है। न इसके पास ऑक्सीजन की कमी के साथ मरने वालों और गंगा किनारे रेत में दफनाई गई लाशों का आंकड़ा है और न ही मोदी सरकार के पास काले कानूनों के विरुद्ध संघर्ष में शहीद हुए किसानों-मजदूरों की संख्या है।
भगवंत मान ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को निशाने पर लेते हुए सवाल किया कि प्रदेश सरकार ने आंदोलनकारी ‘शहीद’ किसानों-मजदूरों का आंकड़ा केंद्र सरकार को क्यों नहीं भेजा? भगवंत मान ने मांग की है कि पंजाब सरकार किसान संगठनों के साथ संपर्क करके अब तक बीमारी और दुर्घटनाओं के कारण ‘शहीद’ हुए आंदोलनकारियों का आंकड़ा इक_ा करके तुरंत केंद्र सरकार को भेजे, जिससे मॉनसून सत्र के दौरान ही उनके पीडि़त परिवारों को बनता मुआवजा केंद्र सरकार से भी दिलाया जा सके और खुद प्रदेश सरकार भी दे।