सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में संविधान (संशोधन) अधिनियम, 2022 बिल पेश किया

RAGHAV CHADHA
ਕਾਂਗਰਸ ਨੂੰ ਸੀਐਮ ਫੇਸ ਲਈ 3 ਕਰੋੜ ਪੰਜਾਬੀਆਂ 'ਚੋਂ ਸਿਰਫ਼ ਰੇਤਾ ਚੋਰ ਹੀ ਮਿਲਿਆ - ਰਾਘਵ ਚੱਢਾ

 -कहा, यह विधेयक निर्वाचित प्रतिनिधियों को लोगों के प्रति अधिक जवाबदेह बनाएगा, सदियों पुराने संवैधानिक नियमों में सुधार करेगा

 -संशोधित विधेयक में प्रस्ताव है, “अगर कोई सांसद या विधायक चुनाव जीतकर अपनी पार्टी बदलता हैं तो उन्हें 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया जाए” : राघव चड्ढा

 -‘रिजॉर्ट पॉलिटिक्स’ रोकने के लिए, अयोग्यता से बचने के लिए विधायक दल के सदस्यों के विलय के लिए मौजूदा सीमा को 2/3 से बढ़ाकर 3/4 कर देगा : राघव चड्ढा

 चंडीगढ़, 5 अगस्त ;- 

आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने लोकतंत्र को मजबूत करने और निर्वाचित प्रतिनिधियों को लोगों के प्रति अधिक जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से शुक्रवार को राज्यसभा में संविधान(संशोधन) अधिनियम विधेयक, 2022 पेश किया और कहा कि संशोधित विधेयक इस लोकतांत्रिक देश में जनता और विपक्ष की आवाज को मजबूत करेगा।

सांसद के प्रस्ताव के अनुसार संशोधित विधेयक के तहत यदि कोई सांसद या विधायक चुनाव जीतकर अपनी पार्टी बदलता है तो उसे 6 साल के लिए चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।  इसी तरह ‘रिजॉर्ट पॉलिटिक्स’ को रोकने के लिए विधायकों और सांसदों को 7 दिनों के भीतर स्पीकर के सामने पेश होना होगा, अगर कोई विधायक या सांसद ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।

अपने एक बयान में राघव चड्ढा ने कहा, “भारत ने विधानमंडलों के गठन में ब्रिटेन में अपनाई गई प्रतिनिधि लोकतंत्र की वेस्टमिंस्टर प्रणाली को अपनाया था।  इसलिए, इस विधेयक में तत्काल संशोधन की आवश्यकता है।”

चड्ढा ने कहा कि विधेयक में संशोधन के बाद, यह एक प्रावधान जोड़कर इसे और अधिक कठोर बना देगा, जिससे सदस्य को दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित करने की तारीख से 6 साल की और अयोग्यता हो जाएगी।  इसी तरह, जो विधायक खरीद-फरोख्त में लिप्त हैं और मतदाताओं के जनादेश का अपमान करते हैं, उन्हें उप-चुनाव लड़ने और फिर से निर्वाचित होने से वंचित कर दिया जाएगा।

संविधान (संशोधन) अधिनियम, 2022 एक सुधारात्मक उपाय के रूप में कार्य करेगा जिसके तहत अविश्वास प्रस्ताव के मामलों को छोड़कर सदस्यों को व्हिप प्रणाली से छूट दी जाएगी।

यह विधेयक संशोधन अयोग्यता से बचने के लिए विधायक दल के सदस्यों के विलय के लिए मौजूदा सीमा को 2/3 से बढ़ाकर 3/4 कर देगा।  चड्ढा ने कहा कि छोटे राज्यों में जहां सदन की संख्या 30 से 70 के बीच है, वहां दलबदल के बढ़ते मामलों के कारण यह प्रावधान बेहद जरूरी है।

 

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