पंजाब की पंचायती जमीनों को ठेके पर देने के संदर्भ में नई नीति बनाने की जरूरत -हरपाल सिंह चीमा

नेता प्रतिपक्ष ने घराचों में धरने पर बैठे दलित परिवारों के साथ की मुलाकात
भूमिहीन जमींदारों और दलित परिवारों के लिए वरदान बन सकती हैं, गांवों की पंचायती जमीनें

भवानीगढ़, (संगरूर), 1 अगस्त 2020
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने पंजाब की पंचायती जमीनों को ठेके पर देने के संदर्भ में मौजूदा प्रक्रिया और प्रणाली पर सवाल खड़े करते इसके बारे में नई नीति बनाने पर जोर दिया है, जिस का सीधा लाभ भूमिहीन जमींदारों, पिछड़े वर्गों व दलितों को मिल सके।
हरपाल सिंह चीमा ने शनिवार को पंचायती जमीन की ‘तथाकथित’ बोली के विरुद्ध धरने पर बैठे परिवारों को मिलने पहुंचे थे। हरपाल सिंह चीमा ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी पक्ष के नेताओं की ओर से अपने निजी स्वार्थों और गांवों को गुटों में बांटने वाला खतरनाक खेल गांवों की सामाजिक और भाईचारक सांझ को तोड़ रही है। ऐसे राजनैतिक लोगों से लोगों को सुचेत रहने की जरूरत है। चीमा ने घराचों की पंचायती जमीन की बोली में स्थानीय कांग्रेसी विधायक और शिक्षा मंत्री विजैइन्दर सिंगला की लोगों की आपसी प्यार-प्रेम तो खत्म करने की और गैर जरूरी दखलअन्दाजी की आलोचना करते हुए कहा कि मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे सिंगला को ऐसी छोटी और घटिया हरकतों से परहेज रखना चाहिए।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंचायती जमीनों के संदर्भ में नई नीति बनाना समय की जरूरत है। पहले नीति के अंतर्गत पंचायती जमीन गांव के ही भूमीहीन या न मात्र जमीन वाले जमींदारों और अन्य पिछडिय़ां श्रेणियों के साथ सम्बन्धित लोगों के लिए आरक्षित होनी चाहीऐ हैं, जबकि दलित परिवारों के लिए आरक्षित 33 प्रतिशत पंचायती जमीन को गांव के दलित परिवारों को सहकारी खेती मॉडल अपनाने के लिए उत्साहित करने की नीति अमल में लानी चाहिए।
इस मौके हरपाल सिंह चीमा ने सवा सो के करीब दलित महिलाओं व मर्दों को पुलिस हिरासत में लेने की सख्त निंदा करते इस को शिक्षा मंत्री विजैइन्दर सिंगला की दलित विरोधी सोच का नतीजा कहा। उन्होंने मांग की है कि फर्जी बोली रद्द करके नए सिरे से करवाई जाए और भूमि रहित के हक सुरक्षित किए जाएं। उन्होंने सभी मामले रद्द करने की भी मांग की।