विचार-विमर्श भारत के आंतरिक मत्स्य पालन उद्योग के सामने मौजूद दीर्घकालिक कार्यों, निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता, आधारभूत अंतर और आजीविका की चुनौतियों के महत्वपूर्ण पहलुओं और आगे बढ़ने पर आधारित
नीति आयोग ने आंध्र प्रदेश सरकार के साथ साझेदारी में आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में “देश के भीतर के राज्यों में मत्स्य पालन की क्षमता का दोहन” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यह एक सहयोगात्मक प्रयास है जिसका उद्देश्य भारत के देश के भीतर के राज्यों में मत्स्य पालन की क्षमता को अधिकतम करना है। 15 और 16 फरवरी, 2024 को आयोजित कार्यशाला में केन्द्र और राज्य सरकार के अधिकारियों, शोधकर्ताओं, उद्योग प्रतिनिधियों, चिकित्सकों और मछली किसान उत्पादक संगठन (एफएफपीओ) सहित प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया।
कार्यशाला ने अपने विभिन्न तकनीकी सत्रों में भारत के अंतर्देशीय मत्स्य पालन उद्योग के सामने मौजूद दीर्घकालिक कार्यों, निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता, आधारभूत अंतर और आजीविका चुनौतियों जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित किया। माननीय मंत्री श्री परषोतम रूपाला ने पारंपरिक मछुआरों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए उनके सक्रिय मार्गदर्शन और कौशल विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने आंतरिक मत्स्य पालन के माध्यम से आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए प्रत्येक अमृत सरोवर को जोड़ने की अवधारणा की भी चर्चा की। उन्होंने सुझाव दिया कि मछली बाजार को “मछली मॉल” के समान विपणन दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जिससे महानगरीय शहरों में शॉपिंग मॉल जैसी संस्कृति को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने मत्स्य पालन पर सरकार के जोर पर प्रकाश डाला, जिसमें प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई), नीली क्रांति, एफआईडीएच और अन्य बीमा संबंधी योजनाओं जैसी पहल शामिल हैं।
नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने मत्स्य पालन क्षेत्र में आंध्र प्रदेश की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और उत्पादन और उत्पादकता में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के महत्व पर जोर दिया।
कार्यशाला के दूसरे दिन “अंतर्देशीय मत्स्य पालन में स्थिरता: एफएफपीओ/सहकारी नेतृत्व वाले विकास मॉडल” और “भारत में अंतर्देशीय मत्स्य पालन उद्योग में मुद्दे और चुनौतियां” पर तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों ने नीति निर्माताओं, उद्योगपतियों और मत्स्य पालन स्टार्टअप के बीच चर्चा की सुविधा प्रदान की, जिससे क्षेत्र के विकास के लिए कार्य करने योग्य सिफारिशों और भविष्य के रोडमैप की पहचान की जा सके।
कार्यशाला के दौरान कुल 13 राज्यों ने अपनी उपलब्धियों, क्षमता, चुनौतियों और सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों का प्रदर्शन किया। कार्यशाला का समापन कार्रवाई योग्य सिफारिशों और भविष्य के रोडमैप पर एक सम्मिलन के साथ हुआ, जिसमें भारत के अंतर्देशीय मत्स्य पालन क्षेत्र की विशाल विकास क्षमता को साकार करने में अंतर-राज्य और केन्द्र-राज्य सहयोग के महत्व पर जोर दिया गया। आयोजन के दौरान बने रिश्ते और पहचाने गए अगले कदम भविष्य में क्षेत्र के महत्वपूर्ण विकास के अवसरों के लिए एक मजबूत नींव रखेंगे।