मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज फॉर विमेन, चंडीगढ़ ने आज 2 पुस्तकों- ‘अल्फाज़’ और ‘सोच ते कलम’ के अनावरण के लिए पुस्तक विमोचन समारोह का आयोजन किया। पंजाब कला परिषद के अध्यक्ष, पद्म श्री अवार्डी, सुप्रसिद्ध पंजाबी लेखक और कवि डॉ सुरजीत पातर, इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और श्रीमती भूपिंदर कौर पातर सम्मानीय अतिथि के रूप में कार्यक्रम का हिस्सा बनी। जीजीडीएसडी कॉलेज हरियाणा मैनेजिंग कमेटी के सेक्रेटेरी और पीयू के पूर्व वरिष्ठ सीनेट और सिंडिकेट सदस्य डॉ गुरदीप शर्मा इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे। लॉकडाउन अवधि के दौरान परिकल्पित यह काव्य संग्रह, शिक्षाविदों और छात्रों की काव्य रचनाओं का संकलन हैं। यह काव्य संग्रह दार्शनिक चिंतन से लेकर संस्कृति, गुरुओं की शिक्षा, आध्यात्मिकता, पर्यावरण संबंधी चिंताओं, प्रकृति आदि विषयों से सम्बंधित विस्तृत स्पेक्ट्रम पर कविताओं को समेटती हैं। इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र पर प्रिंसिपल डॉ निशा भार्गव ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि इस काव्य संग्रह को भारत और विदेशों के विभिन्न हिस्सों से बेहद उत्साही प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। उन्होंने यह भी कहा कि यह काव्य संकलन कविताओं का गुलदस्ता हैं जो एक दिलचस्प किस्म के स्वर, भाव और विचार को दर्शाता है ।
डॉ. सुरजीत पातर ने कॉलेज के इस प्रयास के लिए शिक्षाविदों को बधाई दी और छात्रों की काव्य रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि यह पहल बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि कविता मानवता की सबसे गहरी आवाज है और मौन को भी सम्प्रेषित करती है। कविता कला पर, अपने विचार व्यक्त करते हुए
डॉ. पातर ने कहा कि भावना, शिल्प और चेतना की तीव्रता यह तीन तत्व कविता में जीवंतता भर देते हैं। डॉ. पातर और श्रीमती भूपिंदर कौर पातर की गजल प्रस्तुति ने इस अवसर को यादगार बना दिया। सम्मान समारोह में गणमान्य व्यक्तियों ने संपादकीय टीम और योगदानकर्ताओं को सम्मानित किया।
अल्फाज़ के मुख्य संपादक प्रधानाचार्य डॉ. निशा भार्गव के साथ, शिक्षाविदों द्वारा परिकल्पित एक त्रिभाषी संकलन है जो डॉ. मृदुला शर्मा (अंग्रेज़ी), डॉ. सरिता चौहान (हिंदी), डॉ. अमरदीप कौर (पंजाबी) और डॉ. कोमिल त्यागी (डिजाइन) की संपादकीय टीम के अथक प्रयासों का परिणाम है।
सोच ते कलम काव्य संग्रह के संपादक डॉ निशा भार्गव और डॉ अमरदीप कौर हैं, इस काव्य संग्रह में छात्रों और पूर्व छात्रों की कविता के साथ-साथ उनके द्वारा बनाई गई विषय उपयुक्त पेंटिंग को भी शामिल किया गया हैं और इसके छात्र संपादक नवप्रीत कौर और कोमलप्रीत कौर हैं।
डॉ. सुरजीत पातर ने कॉलेज के इस प्रयास के लिए शिक्षाविदों को बधाई दी और छात्रों की काव्य रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि यह पहल बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि कविता मानवता की सबसे गहरी आवाज है और मौन को भी सम्प्रेषित करती है। कविता कला पर, अपने विचार व्यक्त करते हुए
डॉ. पातर ने कहा कि भावना, शिल्प और चेतना की तीव्रता यह तीन तत्व कविता में जीवंतता भर देते हैं। डॉ. पातर और श्रीमती भूपिंदर कौर पातर की गजल प्रस्तुति ने इस अवसर को यादगार बना दिया। सम्मान समारोह में गणमान्य व्यक्तियों ने संपादकीय टीम और योगदानकर्ताओं को सम्मानित किया।
अल्फाज़ के मुख्य संपादक प्रधानाचार्य डॉ. निशा भार्गव के साथ, शिक्षाविदों द्वारा परिकल्पित एक त्रिभाषी संकलन है जो डॉ. मृदुला शर्मा (अंग्रेज़ी), डॉ. सरिता चौहान (हिंदी), डॉ. अमरदीप कौर (पंजाबी) और डॉ. कोमिल त्यागी (डिजाइन) की संपादकीय टीम के अथक प्रयासों का परिणाम है।
सोच ते कलम काव्य संग्रह के संपादक डॉ निशा भार्गव और डॉ अमरदीप कौर हैं, इस काव्य संग्रह में छात्रों और पूर्व छात्रों की कविता के साथ-साथ उनके द्वारा बनाई गई विषय उपयुक्त पेंटिंग को भी शामिल किया गया हैं और इसके छात्र संपादक नवप्रीत कौर और कोमलप्रीत कौर हैं।