27000 करोड़ रुपये की यह परियोजना 3.65 रुपये प्रति यूनिट की लागत से बिजली उत्पादन करने पर केंद्रित है
ओडिशा, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी ने बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए
कोयले की ढुलाई की लागत को कम करने के लिए पिट-हेड थर्मल पावर प्लांट लगाने को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री के विजन को आगे बढ़ाते हुए कोयला मंत्रालय ने कोयले से संबंधित सीपीएसयू द्वारा थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई है। सरकार ने एनएलसीआईएल के माध्यम से तालाबीरा में 3 x 800 मेगावाट के अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की स्थापना को मंजूरी दे दी है। एनएलसीआईएल को 23 एमटी पीक रेटेड क्षमता के साथ 553 मिलियन टन (एमटी) के कुल भंडार वाली तालाबीरा कोयला खदानें आवंटित की गई हैं। यह पिट-हेड प्लांट चालू होने पर 3.65 रुपये प्रति यूनिट (2.40 रुपये स्थिर लागत और 1.25 रुपये परिवर्तनीय लागत) (लगभग) की लागत से बिजली का उत्पादन करेगा, जो देश में टीपीपी द्वारा उत्पादित सबसे सस्ती बिजली में होगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 3 फरवरी, 2024 को ओडिशा के संबलपुर में एनएलसी इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) के 2,400 मेगावाट के सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की आधारशिला रखेंगे। नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) की 27,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली तालाबीरा थर्मल पावर परियोजना का शिलान्यास किया जाएगा, जो पूरी तरह आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप होगा। यह अत्याधुनिक परियोजना विश्वसनीय, किफायती और निरंतर बिजली प्रदान करते हुए देश की ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देगी और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
यह पिटहेड पावर स्टेशन स्थिरता सुनिश्चित करते हुए एनएलसीआईएल के कैप्टिव कोयला ब्लॉक, तालाबीरा II और III से संबद्ध होगा। यह थर्मल पावर प्लांट उच्च दक्षता, कम कार्बन फुटप्रिंट और प्रभावशाली रूप से 10 प्रतिशत पर्यावरण-अनुकूल बायोमास को-फायरिंग पहल का दावा करता है।
बिजली खरीद समझौतों (पीपीए) ने पहले ही ओडिशा को 800 मेगावाट, तमिलनाडु को 1,500 मेगावाट, केरल को 400 मेगावाट और पुडुचेरी को 100 मेगावाट की आपूर्ति सुनिश्चित कर दी है। इस 18,255 करोड़ रुपये मूल्य वाले मुख्य संयंत्र के लिए इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) अनुबंध बीएचईएल को दिया गया है। पहली 800 मेगावाट इकाई कार्यादेश मिलने की तिथि से 52 महीनों में चालू होने की उम्मीद है, बाद की इकाइयां छह महीने के अंतराल पर सक्रिय हो जाएंगी।
यह महत्वपूर्ण परियोजना भारत के ऊर्जा अनुकूलन को मजबूती प्रदान करने की दिशा में बड़ी छलांग है, जो टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा समाधानों को अपनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति दर्शाती है। यह हरित भविष्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है तथा ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण प्रबंधन की दिशा में देश के प्रयासों को प्रोत्साहन देती है।