
2017-22 के कांग्रेस के कार्यकाल दौरान जन स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन की कार्यप्रणाली ऑडिट के बारे में कैग की रिपोर्ट पंजाब विधानसभा में की पेश
अप्रैल 2019 से मार्च 2022 तक पंचायत राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय संस्थाओं पर वार्षिक तकनीकी निरीक्षण रिपोर्ट भी की पेश
पंजाब में स्वास्थ्य देखभाल (2016-17 से 2021-22): 50.69 प्रतिशत की आश्चर्यजनक रिक्तियों की दर- स्वीकृत स्वास्थ्य पद रहे खाली
अपर्याप्त स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा (2016-17 से 2021-22): अपर्याप्त बिस्तरों, दवाइयों, और उपकरणों के कारण जन स्वास्थ्य सेवाएं हुयी प्रभावित
स्वास्थ्य क्षेत्र पर अपर्याप्त खर्च (2016-17 से 2021-22): स्वास्थ्य सेवाओं पर राज्य सरकार का खर्च निधार्रित लक्ष्य से कम रहा
पंचायत राज संस्थाएं (अप्रैल 2019-22): शक्तियों और कार्यों का तबादला – 73वें संशोधन एक्ट द्वारा कल्पित 29 कार्यों में से केवल 13 का तबादला
शहरी स्थानीय संस्थाएं (अप्रैल 2019-22): स्टाफ की कमी और बकाया उपभोगकर्ता खर्चे – प्रभावी प्रशासन और सेवाएं प्रदान करने में पेश आईं समस्याएं
चंडीगढ़, 25 मार्च 2025
पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने आज पंजाब विधानसभा में 2016-17 से 2021-22 के लिए जन स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर कैग रिपोर्ट और अप्रैल 2019 से मार्च 2022 तक पंचायत राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय संस्थाओं की वार्षिक तकनीकी निरीक्षण रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकार पर स्वास्थ्य ढांचे और पंचायत राज संस्थाओं तथा शहरी स्थानीय संस्थाओं को बुरी तरह तबाह करने के लिए तीखा हमला किया।
यहां पत्रकारों से बात करते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अमीरों की पार्टी है इसलिए इसने राज्य के आम लोगों के लिए आवश्यक जन स्वास्थ्य सेवाओं पर कभी कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से कांग्रेस पार्टी द्वारा हमेशा लोकतंत्र की मूल इकाइयों पंचायत राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय संस्थाओं को भी कमजोर किया गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा वर्ष 2017 से 2022 तक इन संस्थाओं में आवश्यक भर्तियां न करके जहां इन विभागों की सेवाओं को प्रभावित किया, वहीं हजारों युवाओं को रोजगार से वंचित रखा।
वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2021-22 की सीमा के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन के प्रदर्शन ऑडिट पर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के मुख्य नतीजों में, स्वीकृत स्वास्थ्य पदों में 50.69 प्रतिशत खाली पदों की दर शामिल है, जबकि निदेशक चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान में 59.19 फीसदी पद खाली रहे। रिपोर्ट में स्वास्थ्य संस्थाओं की अपर्याप्त उपलब्धता, अपर्याप्त बिस्तरों और आवश्यक दवाइयों तथा उपकरणों की कमी को भी उजागर किया गया है। जन स्वास्थ्य सुविधाओं में संस्थागत जन्म दर कम रही, जबकि निजी अस्पतालों में इसके विपरीत वृद्धि देखी गई।
इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्टाफ और साजो-सामान की कमी के कारण बहुत सारी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं करवायी जा सकीं, और न ही बुनियादी ढांचे का पूरी तरह से उपयोग किया जा सका। मानव शक्ति के अनुपयुक्त वितरण के कारण प्रति डॉक्टर मरीजों की संख्या बराबर नहीं रही और विभिन्न जिलों में आबादी-डॉक्टर अनुपात में बहुत भिन्नता रही।
रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य सेवाओं पर राज्य सरकार का खर्चा लक्ष्य से कम पाया गया। राज्य सरकार द्वारा आवंटित बजट में से 6.5 फीसदी से 20.74 फीसदी तक के फंडों का उपयोग नहीं किया गया। राज्य सरकार 2021-22 के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं पर अपने कुल खर्च का सिर्फ 3.11 प्रतिशत और जीडीपी का 0.68 प्रतिशत खर्च कर सकी, जोकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एन.एच.पी) 2017 के तहत लक्ष्य के बजट के 8 प्रतिशत और जीडीपी के 2.50 प्रतिशत से बहुत कम था। अनुप्रयुक्त सरकारी फंडों की मात्रा। इसके अलावा रिपोर्ट में राज्य स्तरीय कार्यक्रम लागूकरण योजनाओं को पेश करने में देरी और बड़ी मात्रा में अनुप्रयुक्त सरकारी फंडों को उजागर करती है।
पंचायत राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय संस्थाओं की अप्रैल 2019 से मार्च 2022 तक की वार्षिक तकनीकी निरीक्षण रिपोर्ट, जिसमें दो भाग और चार अध्याय शामिल हैं, पंजाब में पंचायत राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय संस्थाओं का गहन विश्लेषण प्रदान किया। अध्याय 1 और 2 पंचायत राज संस्थाओं पर केंद्रित हैं, जबकि अध्याय 3 और 4 शहरी स्थानीय संस्थाओं से संबंधित हैं।
ग्रामीण क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में बताया गया है कि 73वें संशोधन अधिनियम द्वारा कल्पना किए गए 29 कार्यों में से केवल 13 कार्य पंचायत राज संस्थाओं को सौंपे गए हैं। केंद्रीय वित्त आयोग की ग्रांट्स को ट्रांसफर करने में देरी के परिणामस्वरूप राज्य सरकार द्वारा ब्याज की जो अदाइगी की गई, उसे टाला जा सकता था। इसके अलावा, विभिन्न योजनाओं के तहत प्राप्त किए गए फंडों का पूरा उपयोग नहीं किया गया, जिसके तहत विभिन्न सेवाओं के लिए 5 प्रतिशत से 94 प्रतिशत तक फंड अनुप्रयुक्त रहे। पंचायत राज संस्थाओं में स्टाफ की कमी 2019-20 में 29 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में 41 प्रशित हो गई।
रिपोर्ट में शहरी स्थानीय संस्थाओं में 34 प्रतिशत से 44 प्रशित तक स्टाफ की कमी और अन्य मुद्दों को उजागर किया गया है। ग्रांटों को ट्रांसफर करने में देरी के परिणामस्वरूप ब्याज का भुगतान हुआ, जिससे बचा जा सकता था। 510.56 करोड़ रुपए के उपभोक्ता खर्चे भी रिकवरी के लिए बकाया रहे। इसके अलावा, 137 शहरी स्थानीय संस्थाएं ‘पंजाब राज्य कैंसर एवं ड्रग डी-एडिक्शन ट्रीटमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड’ में 10.77 करोड़ रुपए का योगदान देने में भी असफल रहीं।