राधानाथ सिकदर : माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई नापने वाले वह महान भारतीय गणितज्ञ जिनके योगदान को आज भुलाया जा चुका है ।

दुनिया की सबसे ऊँची छोटी माउंट एवेरेस्ट है और इसका नाम एक अंग्रेजी अधिकारीसर जॉर्ज एवेरेस्ट के नाम पर रखा गया था यह बात हमें बचपन से रटवायी गयी हैलेकिन क्या आपने कभी राधानाथ सिकदर सुना ? हम आज भी केवल वो हीइतिहास पढ़ते रहे है जो अंग्रेज लिख गए थे इसलिए हम अपने उन महान भारतियोंको भूल जातें है जिनके योगदान बेहद महत्वपूर्ण रहे है आज तक तो हमेंब स्कूल मेंइनके बारे में पढ़ाया गया है ही गूगल पर माउंट एवेरेस्  सम्बंधित पहला नामइनका दिखाया जाता है उधर दूसरी ओर जिन सर जॉर्ज एवेरेस्ट के नाम पर इसकानाम रखा गया वह तो कभी इस छोटी के निकट नज़र आएं है ही उन्होंने इसकीऊंचाई नापी है

राधानाथ  सिकदर भारत के उन कुछ अल्पज्ञात हस्तियों में से एक है जिन्हें इतिहास मेंवह स्थान नहीं मिला जो मिलना चाहिए था उन्नीसवीं सदी की शुरुवात में अंग्रजो नेभारत का मानचित्र तैयार करने के लिए एक प्रोजेक्ट शुरू हुआ था  इस प्रोजेक्ट केचलते जॉर्ज एवेरेस्ट सर्वेयर जनरल ऑफ़ इंडिया बनने के लिए भारत आए उन्हें एकमहान गणितज्ञ की खोज थी और तभी किसी ने उन्हें कोलकाता के एक युवा के बारे मेंबताया जिन्होंने  उत्कृष्टता से सभी लोगों को आश्चर्यचकित कर रखा था राधानाथसिकदर को इसके बाद कंप्यूटर  के पद्द पर रख दिया गया उनकी रिटायरमेंट के बादउनके स्थान पर 1843 में एंड्रू स्कॉट वॉघ भारत के सर्वेयर जनरल बने  इन्होनेराधानाथ को उस समय “peak xv” के नाम से प्रसिद्ध छोटी की ऊंचाई नापने का कामदिया  जिसके पश्चात सिकदर ने दिल जान से काम शुरू किया और कड़ी महनत बादइस चोटी की ऊंचाई बताने में उत्तीर्ण हुए  इसकी तुरंत घोषणा इसलिए नहीं की गयीक्यूंकि वह सबको बताने से पहले अपनी साड़ी गणना को सुनिश्चित करना चाहतें थेउन्होंने बताया की यह चोटी दुनिया भर की सभी ज्ञात चोटियों  में से सबसे ऊँची है औरइसकी ऊंचाई 29002 फ़ीट है  इससे पहले कंचनजंगा को सबसे ऊँची चोटी मानाजाता था

उस समय यदि भारत आज़ाद होता तो इन परिश्रमी प्रतिभाशाली भारतीय का आजप्रसिद्ध होता  ेकिन सर एंड्रू स्कॉट वॉघ ने दुनिया की सबसे ऊँची छोटी का नामसर जॉर्ज एवेरेस्ट के नाम पर रखा और राधानाथ सिकदर नाम कहीं मानो लुप्त होगया हो

उस समय अंग्रेजों के राज के चलते कोई कुछ कर पाया लेकिन आज भी हमभारतीय अपने अन्य प्रतिभाशील नागो को का नाम राख होने दे रहे है  हम अपनेबच्चों आने वाली पीढ़ी को इन महान भारतियों की योग्यताओं योगदानो सेवाकिफ  करना होगा नहीं तो आने वाले कुछ समय में इन अल्पज्ञात लोगों सहित हमाराअसल इतिहास कहीं लुप्त हो जाएगा|

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