अपने साथियों को बचाने के लिए राज्य स्तरीय हुए कब्जे और 6 लाख एकड़ से ज़्यादा जमीन नाजायज बेचने की रिपोर्ट दबाई बैठी है कैप्टन सरकार-हरपाल सिंह चीमा
रिपोर्ट के सुझाओं को छोड़, कैप्टन अमरिंदर सिंह और बादल एक दूसरे को लगे हैं बचाने में
चंडीगढ़, 20 मई , 2021
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के सीनियर नेता और पंजाब विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सरकारी जमीनों पर राज्य स्तरीय हुए कब्जों और 6 लाख एकड़ से ज़्यादा जमीन नाजायज बेचने की रिपोर्ट दबाई बैठी है, क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने साथियों को बचाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में 1991 से पंजाब में जमीनों पर बड़े स्तर पर कब्जे होने का दावा किया गया, परन्तु रिपोर्ट मिलने के 2 साल बाद भी कैप्टन सरकार ने कब्जाधारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने दोष लगाया किसी भी विभाग ने यह बात ही नहीं मानी कि उसके पास जांच रिपोर्ट आई है।
वीरवार को पार्टी के मुख्य दफ्तर से जारी बयान में हरपाल सिंह चीमा ने मांग की है कि पंजाब में सरकारी जायदादों पर हुए कब्जे सम्बन्धित जो विशेष जांच रिपोर्ट जून 2019 में राज्य सरकार को सौंपी गई थी, यह जांच रिपोर्ट जनतक की जाए और इसी रिपोर्ट के आधार पर कब्जा करने वालों के खिलाफ केस दर्ज किये जाएं। उन्होंने कहा कि पहले जनतक की गई रिपोर्ट में राजनैतिक नेताओं, पुलिस आधिकारियों और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों के नाम शामिल किये गए थे, जिन्होंने कब्जे वाली जमीनों को नाजायज तरीके से बेच कर लाभ प्राप्त किए थे। चीमा ने बताया कि पूर्व जज एस.एस. सराओ और पूर्व डीजीपी चंद्र शेखर ने 27 मार्च 2019 को तत्कालीन शहरी विकास मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व वाली कैबिनेट मंत्रियों की सब-समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, परन्तु कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी बादल परिवार की तरह जांच रिपोर्ट की सिफ़ारिशों को भुला दिया गया है और तबसे यह नेता एक दूसरे को बचा रहे हैं।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि एक तरफ तो कैप्टन सरकार विजिलेंस आधिकारियों के द्वारा मोहाली जिले के माजरी व सियूंक गांवों में 3700 एकड़ जमीन पर कब्जा करने और बेचने के मामले में केस दर्ज करवा रही है, दूसरी ओर चंद्र शेखर की ओर से 6 लाख एकड़ से ज़्यादा जमीन पर कब्ज़े करने के मामले में कोई कार्यवाही नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि यह भी सामने आया है कि कैबिनेट की सब समिति के बाद जांच रिपोर्ट की कापी वित्त विभाग को एक ईमेल के द्वारा भेजी गई थी। परन्तु वित्त विभाग के अधिकारी ऐसी कोई रिपोर्ट मिलने से इन्कार कर रहे हैं। चीमा ने कहा 2019 में जांच रिपोर्ट मिलने के बावजूद कैप्टन सरकार की ओर से रिपोर्ट को न मानना और न ही कोई कार्यवाही करना सिद्ध करता है कि राज्य में बड़े स्तर पर जमीनों पर कब्ज़े करने में अकाली और कांग्रेसी नेताओं की मिलीभगत होने की पुष्टी करता है।
उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने झूठे वायदों के साथ पंजाब के लोगों के साथ धोखा किया है और कैप्टन के नेतृत्व में जमीन माफिया और अन्य माफिया बेख़ौफ चल रहा है। इस जांच रिपोर्ट और अन्य रिपोर्टों में कई राजनैतिक नेताओं और पुलिस आधिकारियों के नाम भी शामिल किए गए थे, परन्तु इन कथित दोषियों के सत्ताधारी पार्टियां कांग्रेस और अकाली दल के साथ सम्बन्ध होने के कारण इनके खि़लाफ़ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही।