मुख्यमंत्री शिक्षा बोर्ड को उन पेपरों के लिए छात्रों से लिए गए 94 करोड़ रूपये की परीक्षा फीस वापिस देने का निर्देश दें, जो कभी हुई ही नही: शिरोमणी अकाली दल

DALJIT CHEEMA
SAD asks CM to direct Education Board to return Rs 94 crore examination fee taken from students for papers which were never held back to them
कहा कि छात्रों को परिणाम की कॉपी मुफ्त में दी जानी चाहिए और उनसे एक कॉपी के लिए 800 रूपये की जबरन वसूली नही की जानी चाहिए: डॉ. दलजीत सिंह चीमा

 चंडीगढ़/07अप्रैल 2022

शिरोमणी अकाली दल ने आज मुख्यमंत्री भगवंत मान से यह  सुनिश्चित करने को कहा है कि पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (पीएसईबी) छात्रों को उन परीक्षाओं की फीस के लिए एकत्र किए गए 94 करोड़ रूपये की वापसी की मांग की , जो परीक्षा कभी ली ही नही गई।

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यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि जहां एक तरफ मुख्यमंत्री निजी स्कूलों के कामकाज को दुरूस्त करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हे यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य शिक्षाबोर्ड को व्यवसायिक गतिविधि न बनाया जाए। उन्होने कहा कि 2020-21 सत्र के लिए परीक्षाओं के आयोजन के लिए इकटठे किए गए 94 करोड़ रूपये को छात्रों को वापिस कर देना चाहिए, क्योंकि वह कोविड महामारी के कारण परीक्षाएं ली नही गई थी। ‘‘ बोर्ड द्वारा कहना कि उसने परीक्षा के लिए पेपर छपवाए थे, सिर्फ एक बहाना  ही है। छपाई पर छोटी सी लागत आती है। यदि आवश्यक हो तो छात्रों से लिए गए 1100 रूपये में से छोटी सी राशि काटी जा सकती है, और शेष राशि  उन्हे वापिस कर देना चाहिए’’।

इस बात पर जोर देते हुए कि शिक्षा बोर्ड को ईमानदार और पारदर्शी तरीके से काम करना चाहिए, डॉ. चीमा ने  कहा कि मुख्यमंत्री को यह समझना चाहिए कि ‘‘ जब हम अपना खुद का विभाग बनाएंगे तभी हम प्राईवेट सेक्टर में आवश्यक सुधारों को लागू कर सकते हैं’’।

अकाली नेता ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि छात्रों से उन सेवाओं के लिए शुल्क लेना, जो उन्होने नही दी हैं, शिक्षा बोर्ड अब परिणाम की हार्ड-कॉपी के लिए 800 रूपये मांग रहा है।‘‘ यह बेहद अजीब है, क्योंकि छात्रों को प्रमाण पत्र निःशुल्क दिया जाना चाहिए, क्योंकि उनसे पहले ही परीक्षा शुल्क लिया जा चुका है। यहां तक कि अगर उनसे कुछ छपाई शुल्क लिया जाना है, तो यह प्रति 10 रूपये से अधिक नही हो सकती है’’।

डॉ. चीमा ने कहा कि राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र समाज के वंचित वर्गों से आते हैं।‘‘ हम ऐसे छात्रों से अत्यधिक परीक्षा शुल्क यां प्रमाण पत्र के लिए 800 रूपये का भुगतान करने की उम्मीद नही कर सकते । उन्होने कहा कि क्योंकि मुख्यमंत्री शिक्षा के क्षेत्र में इतनी दिलचस्पी ले रहे हैं, उन्हे तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और शिक्षा बोर्ड द्वारा की जा रही जबरन वसूली   को समाप्त करना चाहिए’’।