कहा कि सिद्धू की किसानों की मदद करने के बजाय मुख्यमंत्री पर हावी होने की तिकड़मबाजी लगा रहे: डाॅ. दलजीत सिंह चीमा
सिद्धू से पूछा कि वे कभी भी एमपीएमसी बाजारों को समाप्त करने के लिए 2017 संशोधनों यां यहां तक कि वह गांधी परिवार के समर्थन के खिलाफ कभी कुछ क्यों नही बोले
चंडीगढ/15सितंबर 2021
शिरोमणी अकाली दल ने आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू से कहा कि वे पुराने मुददों को उठाकर लोगों को मूर्ख बनाने के बजाय और अगर वह वास्तव में किसानों की सहायता करना चाहते हैं तो 2017 में उनकी सरकार द्वारा एपीएमसी अधिनियम में किए गए संशोधनों को रदद करने का साहत जुटाएं।
शिरोमणी अकाली दल के प्रवक्ता डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि ‘‘ आज के सिद्धू के कथनों से संकेत मिलता है कि उनका कृषि अधिनियमों को रदद करवाने की कोई मंशा नही है, इसके बजाय वह मुख्यमंत्री पर हावी होने की तिकड़मबाजी लड़ा रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह अब जाग गए हैं तथा उन्हे दो दिन पहले एहसास हुआ है कि तीनों काले कानून पंजाब का नुकसान कर रहे हैं, करीब एक साल बाद जब उन्हे संसद में पारित कर दिया गया था। अब सिद्धू भी नींद से जाग गए हैं तथा खुद को किसानों का हमदर्द के रूप में दिखाने का प्रयास कर रहे हैं, हालांकि उन्होने पिछले एक साल से किसानों के मुददे का समर्थन करने के लिए कुछ भी नही किया है’’।
डाॅ. चीमा ने प्रदेश अध्यक्ष को सलाह देते हुए कहा कि वे परिपक्वता से काम करें तथा विचित्र दावे करके पंजाबियों की बुद्धिमता का अपमान न करें। शिरोमणी-भाजपा कार्यकाल के दौरान पारित 2013 अधिनियमों के बारे में बोलते हुए अकाली नेता ने कहा कि ‘‘ सिद्धू भूल गया है कि उनकी पत्नी तत्कालीन सरकार में एक मुख्य संसदीय सचिव थी’’। उन्होने कहा कि लगता है कि सिद्धू फाइलों को खोलने और कांग्रेस पार्टी से विस्तार से बात करने में विफल रहे हैं। उन्होने सिद्धू से यह भी बताने को कहा कि क्या 2013 के एक्ट पर 2017 में कांग्रेस सरकार में मंत्री के तौर पर और बाद में आपत्ति जताई थी? ‘‘ यह केवल अब चुनावी संध्या के कारण आप अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए इस मुददे को उठा रहे हैं’’।
नवजोत सिद्धू पर गांधी परिवार के साथ मिलीभगत कर घड़ियाली आंसू बहाने का आरोप लगाते हुए डाॅ. चीमा ने कहा कि वे पंजाबियों को बतांए कि वह एपीएमसी मंडियों को खत्म करने के साथ साथ जरूरी कमोडिटीज एक्ट को भी खत्म करने के लिए कांग्रेस के रूख पर चुप क्यों हैं। ‘‘ 2019 में कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में यह बात निहित थी हालांकि सिद्धू ने इस किसान विरोधी रूख के खिलाफ कभी बात नही की। इससे उनकी वास्तविकता का पता चल जाता है कि वह गांधी परिवार के कितना अधीन है’’।
डाॅ. चीमा ने सिद्धू से पूछा कि वह 2017 में अपनी सरकार द्वारा एपीएमसी अधिनियम में किए गए संशोधनों के खिलाफ क्यों नही बोल रहे हैं, जिसमें तीनों काले कानूनों के समान प्रावधान है। ‘‘ संशोधनों में निजी मंडियों के निर्माण, किसानों से सीधी खरीद, एक समान लाइसेंसिंग प्रणाली और ई- ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना की अनुमति है। आपकों अभी इसके खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है, जबकि आप खाली नौटंकी कर रहे तथा गलत आरोप लगाने में व्यस्त हैं।
अकाली नेता ने सिद्धू से कहा कि समझदारी से काम लें तथा पीसीसी अध्यक्ष की तरह काम करना चाहिए। ‘‘ अकाली नेता ने मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय मीटिंग में उन्हे तीनों काले कानूनों को तत्काल रदद करने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री के पास एक प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करनी चाहिए ’’। बिना बात की बातों के बजाय केवल इस कदम की पहलकदमी ही किसानों को कारपोरेटस की बैसाखी से बाहर निकाल सकती है। डाॅ. चीमा ने कहा कि आपकों अन्नदाता के हित में काम करना चाहिए’’।