शिरोमणी अकाली दल द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में सरदार मनजिंदर सिंह सिरसा को सह विकल्प के रूप में अयोग्य ठहराने के लिए आप सरकार की निंदा

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ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਨੇ ਦਿੱਲੀ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਕਮੇਟੀ ’ਚ ਕੋ-ਆਪਸ਼ਨ ਲਈ ਮਨਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਸਿਰਸਾ ਨੂੰ ਅਯੋਗ ਕਰਾਰ ਦੇਣ ’ਤੇ ਆਪ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਕੀਤੀ ਨਿਖੇਧੀ
 
नेताओं ने कहा कि वे किसी को भी सिख समुदाय के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति नही देंगें
 
तख्त श्री पटना साहिब के बदनाम पूर्व जत्थेदार को दो साल बाद उन्हे पुराना पद देने का प्रयास  निंदनीय
 

चंडीगढ़/23सितंबर 2021

शिरोमणी अकाली दल ने आज आम आदमी पार्टी  सरकार द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के सदस्य के रूप में सहविकल्प के अयोग्य ठहराने की निंदा की और सिख समुदाय के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करने के लिए कहा।

 

यहां प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए वरिष्ठ नेता प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा , महेशइंदर सिंह ग्रेवाल और अवतार सिंह हित ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप सरकार ने सरदार सिरसा का नामांकन अस्वीकार करवाने के लिए अपनी सत्ता का इस्तेमाल किया।

नेताओं ने कहा कि सरदार सिरसा 1971 के डीएसजीएमसी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सह-सदस्य के रूप में नामांकन के पात्र थे।

उन्होने कहा कि सरदार सिरसा ने पंजाबी में अपना आवेदन दायर किया था, हालांकि प्रावधानों के अनुसार पंजाबी लिखने में सक्षम होने ही परिभाषा गुरमुखी लिपि में उनके नाम पर हस्ताक्षर करने तक सीमित थी।

 

नेताओं ने कहा कि ‘‘ फिर भी निदेशक ने उन्हे इस आधार पर सह विकल्प के लिए अयोग्य ठहराया है कि उनके पास  गुरमुखी को लिखने और पढ़ने की दक्षता नही है, हालांकि सरदार सिरसा ने दिल्ली विश्विद्यालय के श्री तेग बहादुर खालसा काॅलेज से अपनी बीए आॅनर्स पंजाबी की डिग्री की एक काॅपी प्रस्तुत की, जो उन्होने 1990 से 1993 तक की थी।

उन्होने सुखो खाॅलसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल नई दिल्ली के प्रिंसिपल द्वारा जारी एक सर्टिफिकेट भी पेश किया, जिसमें गवाही दी गई थी कि सिरसा ने गुरमुखी में गुरबाणी का गायन किया था , और प्रिंसिपल के सामने गुरमुखी स्क्रिप्ट भी लिखी थी’’।

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नेताओं ने कहा कि तख्त श्री पटना साहिब प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष अवतार सिंह हित ने आज तख्त श्री पटना साहिब केसंरक्षक की निंदा करते हुए कहा कि उन्होनेे पूर्व तख्त जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह को अपनी पुरानी हैसियत से तख्त में फिर से शामिल होने की मांग की है।

सरदार हित ने कहा कि ज्ञानी इकबाल सिंह ने ‘ संगत द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए अन्य अनियमितताओं के अलावा नैतिक भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप के बाद जत्थेदार के रूप में पद छोड़ दिया था। उन्होने कहा कि यह हैरानी की बात है कि अब दो साल बाद उन्होने न्यायिक राहत हासिल कर ली है और अपने पुराने पद पर वापिस आने का प्रयास कर रहे हैं। सरदार हित ने कहा कि ‘‘ सिख पंथ किसी भी परिस्थिति में इसे बर्दाश्त नही करेगा और ज्ञानी इकबाल सिंह को जत्थेदार के रूप में फिर से शामिल कर शांति खराब करने की अनुमति नही देगा’’।

 

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