कहा कि धनखड़ और विज को शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने की कोशिश करने के बजाय शिकायतों का समाधान करना चाहिए: सरदार सिकंदर सिंह मलूका
चंडीगढ़/15सितंबर: शिरोमणी अकाली दल ने आज हरियाणा भाजपा तथा उनकी सरकार द्वारा नशीले पदार्थों की लत को बढ़ावा देने के साथ साथ हिंसा फैलाने का आरोप लगाकर किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश करना निंदनीय है।
यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए अकाली दल के किसान विंग के अध्यक्ष सरदार सिकंदर सिंह मलूका ने कहा कि ‘‘ भाजपा पहले दिन से ही किसान संघ को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। पहले शांतिपूर्ण आंदालन कर रहे किसानों पर राष्ट्रविरोधी यहां तक कि आतंकवादी हाने का आरोप लगाया गया। जब यह सब लोगों ने स्वीकार नही किया तो हरियाणा में नशीले पदार्थो की लत फैलाने के जिम्मेदार कहकर भयावह षडयंत्र शुरू कर दिया है’’।
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पंजाब और हरियाणा के किसानों को को इस तरह से बदनाम नही करना चाहिए कहते हुए किसान विंग के नेता ने कहा कि भाजपा धनखड़ द्वारा किसान आंदोलन के खिलाफ गलत आरोप लगाना निंदनीय है। उन्होने धनखड़ को पंजाब के किसानों को खलनायक बताकर किसान समुदाय में दुश्मनी फैलाना बंद करना चाहिए। ‘‘ यह और कुछ नही किसान आंदोलन को रोकने की चाल है’’। पंजाब के किसानों को बदनाम करने की साजिश करने से बाज आना चाहिए। उन्होने सोनीपत, रोहतक और झज्जर में नशीली दवाओं की लत बढ़ाने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह हरियाणा भाजपा अध्यक्ष द्वारा बिना किसी आधार के तुच्छ तथा बेबुनियाद लगाए गए हैं।
सरदार सिकंद्रर सिंह मलूका ने हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज पर किसानों पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाने के दावों की भी निंदा की कि वे राज्य में तबाही मचाने में लिप्त हैं। उन्होने कहा कि यह सच्चाई से कोसों दूर है। ‘‘ तथ्य इसके विपरीत इशारा करते हैं। उन्होने कहा कि गृहमंत्री से करनाल में किसानों के सिर फोड़ने के लिए पुलिस जवानों को एसडीएम को दिए आदेश समझाने के लिए कहा । ‘‘ यह कैमरे में रिकाॅर्ड है , लेकिन गृहमंत्री, जो शीघ्र निलंबन के आदेश के लिए जाना जाता है, अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नही की गई है’’।
सरदार मलूका ने हरियाणा सरकार से अनुरोध किया है कि वह केंद्र सरकार के निर्देशानुसार किसानों के साथ टकराव का रास्ता अपनाना बंद करे। उन्होने कहा कि हरियाणा भाजपा अध्यक्ष और गृहमंत्री दोनों जो किसानों के विरूद्ध कह रहे हैं वह सच्चाई से कोसों दूर है, इसके विपरीत सच्चाई यह है कि यह आंदोलन जितना पंजाब के किसानों का है उतना ही हरियाणा के किसानों का भी है। ‘‘ हरियाणा सरकार को विरोध कर रहे किसानों से ईमानदारी से बात करनी चाहिए और उनके खिलाफ बल का सहारा लेने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने सहित उनकी सभी शिकायतों का समाधान करना चाहिए। सरदार मलूका ने कहा कि हरियाणा सरकार को भी तीनों काले कानूनों को रदद करने का मुददा ,किसानों के खिलाफ लोकतांत्रिक आंदोलन को बदनाम करने और दबाने की कोशिश करने के बजाय केंद्र सरकार के पास राष्ट्र हित में उठाना चाहिए’’।