कहा कि एसटीएफ प्रमुख हरप्रीत सिद्धू की रिपोर्ट के बाद आई दो जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए
स. परमबंस सिंह रोमाणा ने यह दिखाने के लिए दस्तावेज प्रस्तुत किए कि हरप्रीत सिद्धू मजीठिया परिवार से संबंधित था और 15 साल से उनकी बालेचाल नही है
कहा कि कांग्रेस सरकार ने डी जी पी चटटोपध्याय और बीओआई र्आइ. जी गौतम चीमा के साथ मिलकर स. मजीठिया को झूठे मामले में फंसाने का सौदा किया
चंडीगढ़ 22 दिसंबर 2021
शिरोमणी अकाली दल ने आज कांग्रेस सरकार पर एक पुलिस अधिकारी की ‘निजी राय’ का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया जो पूर्व मंत्री स. बिक्रम सिंह मजीठिया से संबंधित था और उनके खिलाफ एर्फ.आइ.आर दर्ज करके उन्हे फंसाया गया तथा मांग की कि एसटीएफ प्रमुख हरप्रीत सिद्धू द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के बाद उच्च न्यायालय के कहने पर की गई जांच को सार्वजनिक कया जाए।
यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए अकाली दल अध्यक्ष स. परमबंस सिंह रोमाणा ने श्री हरप्रीत सिद्धू के इस स्वीकारोक्ति को भी जारी किया कि वह स. बिक्रम मजीठिया से संबंधित थे और पंद्रह सालों से उनकी बातचीत नही हो रही है। उन्होने कहा कि इसके बावजूद स. मजीठिया के खिलाफ दर्ज मनगढ़ंत एफआईआर श्री सिद्धू की रिपोर्ट पर भरोसा किया गया,जिसे बाद में उन्होने स्वयं स्वीकार किया था कि यह एक राय थी न की जांच थी। ‘‘ अधिकारी ने स्वीकार किया है कि उसने अपनी रिपोर्ट प्रवर्तन निदेशालय के रिकॉर्ड के आधार पर की थी। अगर ऐसा है अगर उनके खिलाफ कुछ भी मिला होता, तो ईडी श्री मजीठिया के खिलाफ चालान दायर करने में सक्षम था, पर उन्होने ऐसा नही किया।
स. परमबंस सिंह रोमाणा ने यह भी खुलासा किया कि सिद्धू जिस मामले का जिक्र वे कर रहे थे- वह जगदीश भोला मामला है- वह जनवरी 2019 में समाप्त हो गया था। तीसरे आरोपी बिटटू औलख को बरी कर दिया गया था। उन्होने कहा कि इस तथ्य के बावजूद सिद्धू की रिपोर्ट में कहा गया कि बिटटू ओलख ने आरोपी व्यक्तियों को स. मजीठिया से मिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इस बारे में अन्य जानकारी देते हुए स. रोमाणा ने कहा कि सिद्धू की रिपोर्ट के बाद पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एसटीएफ की रिपोर्ट के लिए एक कमेटी नियुक्त की थी। उन्होने कहा कि तत्कालीन एपीएस होम और राज्य के डीजीपी की कमेटी की रिपोर्ट भी हाईकोर्ट में सीलबंद लिफाफे में बंद पड़ी है। ‘‘ इसे भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए’’। उन्होने यह भी खुलासा किया कि ड्रग्ज मामले के मामले के आरोपी चहल और औलख ने भी उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, और उसेने सभी मामलों पर गौर करने और रिपोर्ट जमा करने के लिए पुलिस महानिरीक्षक (आईजीज्) के तीन सदस्यीय एसआईटी को नियुक्त किया था और निर्देश भी दिया था कि जरूरत पड़ने पर आरोपी को दोषमुक्त किया जाए और अगर कोई छूट गया है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। ‘‘ एसआईटी ने इस मामले में दस पूरक चालान दाखिल किए और अंतिम रिपोर्ट भी पेश की जिसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
इस बीच यह बताते हुए कि स. मजीठिया के खिलाफ पूरे मामले को गढ़ा गया कहते हुए स. रोमाणा ने कहा कि ‘‘ दो डीजीपी बदल दिए गए तथा एक तीसरे डीजीपी एस चटटोपध्याय को नियुक्त किया गया, इस तथ्य के बावजूद कि वह अयोग्य थे , क्योंकि उनका नाम यूपीएससी द्वारा नियमित डीजीपी के रूप में नियुक्ति के लिए शार्टलिस्ट भी नही किया गया था। ‘‘ यूपीएससी ने श्री चटटोपध्याय की नियुक्ति के चार दिन बाद एक नियमित डीजीपी की नियुक्ति के लिए एक भी मीटिंग नही की, लेकिन पंजाब सरकार ने उन्हे फिर भी नियुक्त करने का फैसला किया। यह एक बदले की भावना दर्शाती है, जिसके तहत पुलिस अधिकारी पर स. मजीठिया के खिलाफ झूठा मामला दर्ज करने का आरोप लगाया गया था।
स. रोमाणा ने कहा कि नए डीजीपी ने स. मजीठिया के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश देकर सभी मानदंडों को तोड़ा है। ‘‘ यह पहला ऐसा उदाहरण है जब किसी डीजीपी ने ऐसा आदेश दिया है। यह भी पहली बार है कि किसी मामले की फिर से जांच की जा रही है, जिसके बाद अदालतों ने किसी सुपीरियर कोर्ट से कोई निर्देश लिए बिना फैसला दिया है।
अकाली प्रवक्ता ने कहा कि चटटोपध्याय के अलावा, जो अकाली दल के खिलाफ बदलाखोरी की भावना रखते हैं, कांग्रेस सरकार ने ब्यूरों ऑफ इन्वेस्टिगेशन (बीओआई) के आईजी गौतम चीमा को भी उनके बॉस एस के अस्थाना जिन्हे भी स. मजीठिया पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया गया था जो छुटटी पर थे,को बीओआई की ओर से दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया । ‘‘ श्री गौतम चीमा एक दागी पुलिस अधिकारी है, जो कई आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं इस कारण से उन्हे एडीजीपी के रूप में पदोन्न्त नही किया गया । यह साफ है स. मजीठिया को फंसाने के लिए श्री चीमा के साथ एक सौदा किया गया।
स. रोमाणा ने यह भी बताया कि कितने कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इस बदलाखोरी की कवायद में शामिल होने से इंकार कर दिया था। उन्होने कहा कि अर्पित शुक्ला, श्री वरिंदर कुमार और श्री एस के अस्थाना सहित बीओआई के लगातार तीन प्रमुखो ने किसी भी अवैधता में लिप्त होने के बजाय अपना कार्यभार छोड़ने के लिए चुना था। उन्होने कहा कि ‘‘ यहां तक कि पटियाला के एसएसपी ने भी लिखित रूप से यह कहते हुए असहमति जताई कि छुटटी पर जाने से पहले स. मजीठिया के खिलाफ कोई मामला क्यों दर्ज नही किया जा सकता है।