मुख्यमंत्री से तुरंत इस्तीफ़ा माँगा क्योंकि उन्होंने बदलाखोरी की इस कार्यवाही का नेतृत्व किया
मांग की कि कुंवर विजय प्रताप को चार्जशीट किया जाए, उसके खिलाफ फौजदारी केस दर्ज करके उसको गिरफ्तार किया जाए
कहा कि बेअदबी के तीन मामलों की तेज रफ्तार जांच की ज़रूरत क्योंकि कांग्रेस सरकार ने इन दुर्भागयपूर्ण घटनाओं के दोषियों को पकडऩे की जगह लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया
चंडीगड़, 24 अप्रैल , 2021
शिरोमणी अकाली दल ने आज कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की तरफ से आम आदमी पार्टी के साथ मिल कर बेअदबी और पुलिस फायरिंग मामलों में शुरू की राजनैतिक तौर पर प्रेरित, बुरी और बदलाखोरी की तरफ सेधत जांच से साबित हो गया है कि कांग्रेस सरकार और इसके सहयोगी इन घिनौने अपराधों के असली दोषियों को पकडऩे में कोई रूचि नहीं रखते और यह इस अति भावुक मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं।
यहां एक प्रैस कान्फ्रेंस को संबोधन कर रद्दे सीनियर अकाली नेता श्री महेशइन्दर सिंह ग्रेवाल और डा. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि हाई कोर्ट की तरफ से हाल ही में सुनाए फैसले ने कांग्रेस और ‘आपÓ दरमियान शिरोमणी अकाली दल और सिख संस्थाओं को बदनाम करने के लिए बनाऐ गए गठजोड़ को बेनकाब कर दिया है। उन्होंने कहा कि क्योंकि मुख्य मंत्री ने आप मीटिंगों कर कर कांग्रेस और आप के इस राजनैतिक एजंडे को प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़, नवजोत सिद्धू और सुखजिन्दर रंधावा जैसों के साथ मिल कर सिरे चढ़ाया, इसलिए उनको अब अपने पद पर रहने का कोई हक नहीं है और उनको तुरंत इस्तीफा के देना चाहिए। इन्हों नेताओं ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी पूर्व दागी पुलिस अफसर कुंवर विजय प्रताप सिंह को प्रोमोट करन और उसका बचाव करने में कांग्रेस के साथ मिले हुए हैं जबकि कुंवर विजय प्रताप पर साजिश को अंजाम देने का आरोप लगा है।
इन्हों नेताओं ने कहा कि क्योंकि हाई कोर्ट के फ़ैसले उपरंत अब सीधी फ़ौजदारी साजिश सिद्ध हो गई है तो इस लिए दागी पूर्व आई जी कुंवर जैसे प्रताप को चार्जशीट किया जाना चाहिए, उसके खिलाफ फौजदारी केस दर्ज करके सको तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उसके गुनाहों के लिए उसको सज़ा मिलनी चाहिए।
श्री ग्रेवाल और डा. चीमा ने 2015 की श्री गुरु ग्रंथ साहब जी की बेअदबी की घटनाओं की तेज़ रफ़्तार जांच की माँग भी की और कहा कि इन मामलों में चालान तुरंत दायर होने चाहिएं और कहा कि कांग्रेस सरकार ने असली दोषियों को पकडऩे की जगह लोगों की भावनायों भड़काने में चार साल बरबाद कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि अकाली दल हमेशा दोषियों को पकडऩे के हक में रहा है और वह हमेशा कहता आ रहा है कि जिन्होंने बेअदबी की, उनका कख न रहे और जिन्होंने इस बेअदबी पर राजनीति की, उन का भी कख न रहे।
अकाली नेताओं ने कहा कि चाहे कांग्रेस और ‘आपÓ ने मिल कर अकाली दल के खिलाफ साजिश रची परन्तु वह थोड़ा समय ही कामयाब हो पाए जब अकाली दल 2017 की मतदान में हार गया परन्तु हाई कोर्ट के फ़ैसले ने अकाली दल को इस मामले में फसाने के उनके इरादे बेनकाब कर दिए हैं।
विवरण सांझा करते हुए डा. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि कुंवर विजय प्रताप ने द्वेष भाव के साथ, बेतुकी और बेहूदा जांच की है और पूर्व अफ़सर ने धर्म, राजनीति और पुलिस प्रशासन का ख़तरनाक मिश्रण किया है। उन्होंने कहा कि अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि पूर्व आई जी अपने पद और रुतबे का दुरुपयोग का आदि है और इसने एक सी.जे.एम. पर बिना सबूत सरदार प्रकाश सिंह बादल के साथ नज़दीकी का आरोप लगा कर सैशन अदालत को पत्र लिख कर अदालती प्रक्रिया में अपना रौब जमाने का प्रयत्न किया है। उन्होंने कहा कि दालत ने यह भी कहा है कि वह सेवा मुक्ति बाद में राजनैतिक क्षेत्र में अपने लिए अच्छा राजनैतिक मौका तलाशने के चक्कर में राजनैतिक ड्रामेबाज़ी कर रहा था।
उन्होंने कहा कि अदालत ने यह भी कहा है कि कुंवर विजय प्रताप ने अपने गैरकानुनी मंसूबों को सिरे चढ़ाने के लिए दो मामलों में गवाहों के अलग-अलग बयान दर्ज किए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व आई तो आप ही अकेला जांच करता रहा जब कि एसआईटी के बाकी सदस्यों ने उसकी पड़ताल की अपेक्षा अपने आप को अलग कर लिया। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि एस.आई.टी. का नेतृत्व कुंवर विजय प्रताप कर रहा था जिसका मकसद अपने राजनैतिक हितों की पूर्ति थी।