तीनों खेती कानूनों को निरस्त करने की मांग के लिए पार्टी द्वारा स्थगन प्रस्ताव को रोकने के लिए ज्यादा बहुमत का उपयोग कर मनमर्जी करने के विरोध में शिरोमणी अकाली दल ने प्रधानमंत्री की कोविड की मीटिंग का बहिष्कार किया
चंडीगढ़/20जुलाई 2021 शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज कहा है कि यह बेहद शर्म की बात है कि देश के प्रधानमंत्री द्वारा किसानों के साथ अन्याय किया जा रहा है तथा उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को अंहकारी होकर ‘अन्नदाता’ के खिलाफ कटटर रवैया नही अपनाना चाहिए।
संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि ‘‘प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी है कि वे किसानों की शिकायतों को सुनें और उनका समाधान करें। किसान महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी पीड़ा नही सुन रही है, ऐसा रवैया लोकतंत्र के लिए शुभ नही है ’’।
‘ शर्म करो, देश के अन्नदाता का अपमान बंद करो ’ की तख्तियां थामें
शिअद-बसपा सासंद जिनमें बसपा के जनरल सचिव सतीश मिश्रा तथा शिअद से पूर्व केंद्रीय मंत्री सरदारनी हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि एनडीए सरकार ने अपने ज्यादा बहुमत का इस्तेमाल कर तीनों खेती कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर पार्टी द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार करने के लिए मनमर्जी की। शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष ने कहा कि इस वजह से पार्टी ने प्रधानमंत्री द्वारा कोविड महामारी की समीक्षा के लिए आयोजित मीटिंग का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
सरदार सुखबीर सिंह बादल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक प्लेकार्ड दिखाया, जिसमें उन्होने ‘ उनकी मेहनत की सराहना होनी चाहिए, जबकि सरकार उनका अपमान कर रही है’’। उनके साथ वरिष्ठ सांसद बलविंदर सिंह भूंदड़ और नरेश गुजराल भी थे, सभी ने तुरंत काले खेती कानून रदद करने की मांग की ।
इस अवसर पर सरदारनी हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि शिरोमणी अकाली दल एकमात्र ऐसी पार्टी रही है , जिसने संसद के अंदर तथा बाहर तीनों खेती कानूनों का लगातार विरोध किया है। उन्होने कहा कि कल भी कांग्रेस पार्टी ने किसानों का मुददा नही उठाया, जिससे स्पष्ट हों गया कि वे ‘अन्नदाता’ का अपमान करने पर आमादा हैं। सरदारनी बादल ने कहा कि शिरोमणी अकाली दल ‘‘ किसानों का मुददा उठाता ही रहेगा। हमने कल और आज दोनों स्थगन प्रस्ताव दायर किए। हम इस संवेदनशील मुददे को उठाने के लिए अन्य साधनों का भी इस्तेमाल करेंगें ताकि किसानों की आवाज संसद में सुनी जा सके’’।
इस बीच शिअद-बसपा सांसदों ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एनडीए सरकार किसानों के बलिदान को पहचानने के लिए तैयार नही है तथा उसने आंदोलन के 500 से अधिक शहीदों को श्रद्धांजलि देने से इंकार कर दिया है। उन्होने शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने तथा दबाने के लिए किए प्रयासों की निंदा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को उन कारपोरेट सैक्टर के हित में काम नही करना चाहिए, जो खेती क्षेत्र का काॅरपोरेटाइजेशन चाहते हैं। उन्होने कहा कि ‘‘ जैसा कि संविधान में लिखा गया है ,पारित खेती कानून भी संघीय भारत की भावना के खिलाफ हैं ’’।