मोहाली, 16 नवंबर 2021
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने स्काई रॉक हाउसिंग सोसाइटी के मालिक नवजीत सिंह को मोहाली की एक निवासी को प्लॉट का कब्जा देने में विफल रहने पर एक लाख का मुआवजा देने का निर्देश दिया है।
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आयोग के अध्यक्ष संजीव दत्त शर्मा ने आगे नवजीत (विपक्षी पक्ष), जो वर्तमान में अधिकतम सुरक्षा जेल, नाभा में बंद है, को राशि प्राप्त करने की तारीख से वास्तविक वापसी तक, 12 प्रतिशत ब्याज के साथ 10.70 लाख वापस करने का आदेश दिया।
मोहाली निवासी नजमा ने आयोग को अपनी शिकायत में कहा था कि उसने स्काई रॉक सिटी वेलफेयर सोसाइटी, बनूड़ रोड, मोहाली में 200 वर्ग गज का प्लॉट खरीदने के लिए विरोधी पक्ष से संपर्क किया था। उसने प्लॉट बुक करने के लिए शुरुआती राशि के रूप में 5,000 रुपये का भुगतान किया था। प्लॉट का मूल्य 74,000 प्रति वर्ग गज की दर से तय किया गया था, जो अन्य शुल्कों के साथ कुल मिलाकर 78 लाख बनता है। नजमा ने अलग-अलग तारीखों में विरोधी पक्ष को 10.70 लाख का भुगतान किया। विरोधी प़क्ष द्वारा उसे आश्वासन दिया गया था कि उसे जल्द ही प्लॉट दे दिया जाएगा, लेकिन इस संबंध में विरोधी पक्ष द्वारा कुछ नहीं किया गया।
तमाम कोशिशों के बावजूद नजमा को नवजीत से मिलने भी नहीं दिया गया क्योंकि वह अपनी रकम वापस लेना चाहती थी। बाद में, नजमा को पता चला कि फर्जी तरीके से विभिन्न दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराकर विरोधी पक्ष ने उसके साथ धोखाधड़ी की है।
विरोधी पक्ष की ओर से सेवा में कमी का आरोप लगाते हुए नजमा ने उत्पीड़न और मानसिक पीड़ा के लिए ब्याज सहित 10.70 लाख की वापसी राशि और 50,000 के मुआवजे की मांग की।
अपने उत्तर में, विरोधी पक्ष ने कहा कि शिकायतकर्ता वर्तमान शिकायत दर्ज करने के लिए उपभोक्ता के तौर पर अपना अपना अधिकार स्थापित करने में विफल रही है। उन्होंने उसकी शिकायत को झूठा और निराधार बताया। हैरानी की बात यह है कि जवाब पर अजय सिंह ने हस्ताक्षर किए थे न कि नवजीत सिंह ने। यहां तक कि जवाब के समर्थन में दिए गए हलफनामे पर भी न तो नवजीत ने हस्ताक्षर किए और न ही किसी के द्वारा सत्यापित किया गया।
आयोग ने आगे कहा कि बहुत ही चतुराई से दिए गए उत्तर पर विपक्षी पक्ष की ओर से किसी के भी द्वारा हस्ताक्षर नहीं किए गए थे और यहां तक कि नवजीत सिंह के हलफनामे पर भी कोई हस्ताक्षर नहीं था और न ही किसी के द्वारा सत्यापित किया गया था। आयोग ने आगे कहा कि यह बिल्डर/विपक्षी पक्ष के दुर्भावनापूर्ण इरादे को दर्शाता है।
नवजीत सिंह कई मामलों में जेल में बंद है। एक भी मामला ऐसा नहीं है जिसमें उसने राशि वापस की हो। इसलिए, उन्हें उपभोक्ता आयोग द्वारा दोषी ठहराया गया और कारावास की सजा सुनाई गई।