बौखलाहट के कारण सुखबीर बादल चुनावी सर्वेक्षण बैन करने की मांग कर रहे:हरपाल सिंह चीमा

Harpal Cheema
ਬਾਦਲ ਦਲ ਦੀ ਬੁਖਲਾਹਟ ਦੀ ਨਿਸ਼ਾਨੀ ਹੈ ਸੁਖਬੀਰ ਬਾਦਲ ਵੱਲੋਂ ਚੋਣ ਸਰਵੇਖਣਾਂ 'ਤੇ ਪਾਬੰਦੀ ਦੀ ਮੰਗ: ਹਰਪਾਲ ਸਿੰਘ ਚੀਮਾ
लोगों के फतवे का ट्रेलर हैं एग्जिट पोल:हरपाल सिंह चीमा

चंडीगढ़ 9 मार्च 2022

आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने चुनाव  सर्वेक्षण  पर रोक लगाने की सुखबीर सिंह बादल की मांग को शिरोमणि अकाली दल की बौखलाहट करार ​दिया। चीमा ने कहा कि मीडिया ने अपने चुनावी सर्वेक्षण में पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने का दावा किया है। जिस कारण सुखबीर सिंह बादल चंद घंटों के लिए भी अपनी जुबान पर काबू नहीं रख पाए और बौखलाहट में आकर उन्होंने मीडिया पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।

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बुधवार को यहां पार्टी मुख्यालय से जारी बयान में हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने चुनावी सर्वेक्षण पर ही सवाल उठाना शुरू कर दिया है और चुनाव आयोग से सर्वेक्षण पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं। चीमा ने सवाल किया कि सुखबीर बादल किस हैसियत से सरकार पर चुनाव में धांधली करने और पैसे के बल पर लोकतंत्र हत्या करने का आरोप लगा रहे हैं?

हरपाल सिंह चीमा ने आरोप लगाया कि सुखबीर बादल ने पंजाब में अपने 10 वर्षों के शासन में  चुनावी  सर्वेक्षणों  में सरकारी धन का जमकर दुरुपयोग किया था। सुखबीर के अत्याचारों के किस्से सुर्खियां बटोर रहे हैं। इसलिए अब वह मीडिया और मीडिया द्वारा कराए गए चुनावी सर्वेक्षण के खिलाफ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल, भारतीय जनता पार्टी, कैप्टन अमरिंदर सिंह,सुखदेव सिंह ढींडसा और कांग्रेस समेत कई बड़े नेता पंजाब में  सत्ता परिवर्तन के खिलाफ हैं। ये नेता पंजाब की आम जनता के बेटे-बेटियों को नहीं बल्कि खुद को और अपने परिवार को सत्ता के गलियारों में देखना चाहते हैं।

चीमा ने दावा किया, “चुनाव सर्वेक्षण लोगों के विचारों को दर्शाते हैं और लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि कल मतगणना के बाद परिणामों की तस्वीर साफ हो जाएगी, लेकिन सुखबीर सिंह बादल समेत पारंपरिक दलों के नेता अपनी बौखलाहट पर काबू नहीं कर पा रहे हैं।”

हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब की जनता ने इस बार बदलाव के लिए वोट किया है और काम के आधार पर वोट मांगने वाली आम आदमी पार्टी को चुना है। पंजाब के लोग शिअद-भाजपा, कांग्रेस और अन्य पारंपरिक पार्टियों की भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की राजनीति से छुटकारा पाना चाहते हैं। यही कारण है कि पंजाब के लोगों ने सत्ता परिवर्तन के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया है जो​कि विरोधी पार्टियों को हजम नहीं हो रही है।