एक तरफ सुखबीर सिंह बादल 10-10 लाख रुपए देकर युवाओं को विदेश भेजने का वादा करते हैं, दूसरी तरफ उन्हें सरकारी नौकरी में 33 फीसदी आरक्षण देने का लॉलीपॉप दे रहे हैं:भगवंत मान
बादलों ने कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के 20 फीसदी छात्रों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला देने का फैसला नहीं किया लागू: भगवंत मान
आम आदमी पार्टी की सरकार पंजाब के सरकारी स्कूलों की दिशा और दशा दोनों सुधारेगी:भगवंत मान
चंडीगढ़,7 फरवरी 2022
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और धुरी से सांसद भगवंत मान ने शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के सरकारी स्कूलों के छात्रों को नौकरियों में आरक्षण देने और स्कूलों में सुधार करने के ऐलान को सफेद झूठ और धोखा करार दिया। मान ने कहा कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती क्योंकि बादलों ने पंजाब के सरकारी स्कूलों और शिक्षा को उजाड़ कर केवल शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा दिया है।
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सोमवार को पार्टी मुख्यालय से जारी बयान में भगवंत मान ने कहा कि, ” ग्रामीण क्षेत्रों और आम लोगों में अकाली दल की घटती लोकप्रियता के कारण सुखबीर बादल को अपने उम्मीदवारों का राजनीतिक भविष्य खत्म होता दिखाई दे रहा है। इसलिए पार्टी की डूबती नैया को पार लगाने के लिए वह जनता के बीच जाकर झूठे वादे कर रहे हैं कि और कह रहे कि शिरोमणि अकाली दल की सरकार बनने के बाद सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले सभी बच्चों को सरकारी नौकरियों में 33 फीसदी का आरक्षण दिया जाएगा और स्कूलों में खराब हालत को सुधारने के लिए 12 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।”
भगवंत मान ने सुखबीर बादल के वादों पर कहा, ” पंजाब में सुखबीर सिंह बादल के पिता जी की अगुवाई में शिरोमणि अकाली दल की 10 साल सरकार रही है,तब सुखबीर बादल ने न तो निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस कोटा लागू किया और न ही सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सुधार किया। लेकिन सुखबीर बादल ने निजीकरण के चेहरे को जरूर बदल दिया।
मान ने कहा कि बादलों की सरकार ने न तो सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरा की और न ही कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों समेत अन्य स्टाफ की भर्ती की। इसके अलावा पंजाब यूनिवर्सिटी पटियाला, गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी श्री अमृतसर और पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना को भी बादल सरकार ने आर्थिक मदद नहीं दी।
भगवंत मान ने सुखबीर बादल के 33 फीसदी आरक्षण देने के वादे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब बादलों ने युवाओं को नौकरियों ही नहीं देनी तो आरक्षण देने को कोई मतलब नहीं रह जाता। ऐसा उदाहरण सुखबीर बादल अपने 10 सालों के शासन में पहले भी पेश कर चुके हैं। मान ने तंज कसते हुए कहा कि, ”एक तरफ सुखबीर बादल 10- 10 लाख रुपए देकर पंजाब के नौजवानों को विदेश भेजने के वादा कर रहे हैं,दूसरी ओर उन्हें सरकारी नौकरियों में 33 फीसदी आरक्षण देने का लॉलीपॉप दे रहे हैं।” उन्होने कहा कि बादलों ने अपनी सरकार के दौरान ग्रामीण स्कूलों से पढ़े नौजवानों को सरकारी नौकरियों में 5 अतिरिक्त अंक देने का फैसला भी लिया था, लेकिन यह फैसला आज तक नहीं लागू नहीं हो सका। अब क्या गारंटी है कि सुखबीर बादल का सरकारी नौकरियों में 33 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लागू होगा?”
भगवंत मान ने आरोप लगाया कि शिरोमणि अकाली दल,भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की सरकारें हमेशा से प्रदेश की ग्रामीण और गरीब वर्ग की जनता का इस्तेमाल अपने वोट बैंक के लिए करती आई हैं। लेकिन जब इन वर्गों के अधिकारों की बात आती है तो बादल,कांग्रेस और भाजपा के नेता अपनी आंखें मूंद लेते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के 20 फीसदी छात्रों को प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश देने का फैसला किया गया था, सरकार के इस फैसले को न सुखबीर सिंह बादल ने अपनी सरकार में लागू किया और न ही कांग्रेस की मौजूदा सरकार ने लागू किया।
मान ने कहा कि अकाली दल और कांग्रेस पार्टी की सरकारों ने सरकारी विश्वविद्यालयों की बेशकीमती जमीनों को बेचने के अलावा कुछ नहीं किया। इसी तरह पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ को केंद्र को सौंपने का निर्णय लिया गया। लेकिन फैसले से गुस्साए पंजाब के लोगों के कारण बादल और कांग्रेस को अपना मन बदलना पड़ा। मान ने कहा कि सुखबीर सिंह बादल सहित पंजाब के लोग कांग्रेस और भाजपा के झूठे वादों से भलीभांति वाकिफ है और पूरी तरह से सचेत हैं। उन्होंने कहा कि आप की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में स्कूलों की स्थिति में सुधार करके पूरे देश में “शिक्षा क्रांति” अभियान चलाया है, जिसका अगला कदम पंजाब में सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा में सुधार करना होगा।