सरदार सुखबीर सिंह बादल द्वारा गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध की निंदा

SUKHBIR BADAL
Shiromani Akali Dal (SAD) president Sukhbir Singh Badal today expressed shock at the massive contamination of river waters of the State due to unchecked

 

 

किसानों और बड़े कॉरपोरेट घरानों के लिए एक समान मानदंड की मांग की

 

कहा कि पंजाब सरकार  अचानक मौसम में उतार-चढ़ाव को प्राकृतिक आपदा घोषित कर कुल मुआवजे की घोषणा करें

 

उत्पादकता के नुकसान के लिए किसानों को 500 रूपये प्रति क्विंटल मुआवजे की मांग की

 

चंडीगढ़/15मई: शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले की आज कड़ी आलोचना की और दूसरी तरफ निर्यात प्रतिबंध के बाद  गंभीर बाजार संकट से जुझ रहे किसानों को दोहरी मार के लिए 500 रूपये प्रति क्विंटल मुआवजा देने की मांग की’’।

सरदार बादल ने मांग की कि किसानों की उपज  की मांग में पैदा की गई रूकावट को रोकने के लिए निर्यात प्रतिबंध को तुरंत हटाया जाना चाहिए। मांग में गिरावट का पूरी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। किसान और खेत मजदूर सबसे ज्यादा पीड़ित होंगें , तथा कोई भी आर्थिक वर्ग और न ही  समाज का कोई भी वर्ग इसके नकारात्मक अल्पकालिक और दीर्धकालिक परिणामों से बच नही पाएगा’’।

उन्होने कहा कि निर्यात प्रतिबंधों को वापिस लेना अब और अधिक आवश्यक हो गया है क्योंकि विशेष रूप से पंजाब के किसानों को अप्रत्याशित मौसम में उतार चढ़ाव के कारण  गेंहू की अनुमानित 33 फीसदी कम पैदावार के कारण एक बड़ा और असहनीय झटका लगा है।

अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को  एक समान मानकों ाके लागू करना चाहिए और उद्योग और कृषि  में उत्पादकता में गिरावट के संबंध में समान नीतियां अपनानी चाहिए। इस्पात उत्पादन में गिरावट का उदाहरण देते हुए सरदार बादल ने कहा कि उत्पादन में गिरावट के परिणामस्वरूप इस्पात की कीमतें आसमान छू रही हैं, लेकिन इस्पात पर निर्यात प्रतिबंध नही हैं। इसके विपरीत जब भी व्यापार और उद्योग में कम उत्पादकता की समान स्थिति होती है तो सरकार हमेशा बड़े औद्योगिक यां कॉरपोरेट घरानों को उदार सब्सिडी और कर्जा माफी के माध्यम से उत्पादकों यां निर्माताओं की सहायता के लिए आती है। यह मानदंड उन किसानों पर क्यों लागू नही हो सकता जो अर्थव्यवस्था की वास्तविक रीढ़ की हडडी हैं तथा देश के अन्नदाता हैं?

पूर्व डिप्टी सी.एम ने सिकुड़े हुए अनाज के लिए छूट बढ़ाने के सरकार के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह एक अपर्याप्त और महत्वहीन उपाय था। ‘‘ कुल उत्पादन में 33 फीसदी की गिरावट के सामने सिकुड़े हुए गेंहू में केवल 12 फीसदी की बढ़ोतरी केवल एक दिखावा मात्र है। उन्होने कहा कि छूट  में केवल सिकुड़ा हुआ अनाज
शामिल है, जबकि उपज में गिरावट पूरे उत्पादन को प्रभावित करती है। सरदार बादल ने कहा कि किसानों को हुए वास्तविक नुकसान से ध्यान हटाने के लिए यह चाल चली गई है’’।

उन्होने कहा कि  पीड़ित किसानों और खेत मजदूरों को राहत प्रदान करने और अर्थव्यवस्था को स्थिर करने का एकमात्र तरीका अचानक मौसम परिवर्तन को आपदा घोषित करना और किसान जो इस आपदा से प्रभावित हैं, को राहत और मुआवजे की घोषणा करना है।

सरदार बादल ने कहा कि आप पार्टी की सरकार और सी.एम भगवंत मान ने अभी तक इस बारे में अभी तक कुछ भी सोचा नही है। ‘‘ किसानों ने इस मौसम में जो झेला है वह एक प्राकृतिक आपदा है और कुल मुआवजे से कम कुछ भी नही किसानों को इस प्राकृतिक आघात से बचने में मदद करेगा’’।

सरदार बादल ने कहा कि सरकार को निर्यात प्रतिबंध के माध्यम से नकारात्मक हेरफेर और बाजार में पतन के कारण दंडित करने के बजाय सरकार को गेंहू उत्पादकों को मुआवजा देेने के साथ साथ गरीब वर्गों के लिए खाद्य कीमतों में सब्सिडी देने के बारे में सोचना चाहिए। ‘‘ निर्यात प्रतिबंध का मतलब कम मांग होगा और कम मांग का मतलब उत्पादन को हतोत्साहित करना होना। इस तरह की नीतियां न केवल किसानों के लिए बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को तबाह करके रख देगी’’।