शिक्षा के मानक में सुधार के लिए तकनीक की अहम भूमिका: मुख्य सचिव
राष्ट्रीय शिक्षा नीति संबंधी वर्चुअल समागम के दौरान विनी महाजन लाइफटाइम अचीवमैंट पुरस्कार से सम्मानित
चंडीगढ़, 16 अप्रैल:
पंजाब की मुख्य सचिव श्रीमती विनी महाजन ने कहा है कि देश में शिक्षा के मानक में सुधार लाने और शिक्षा तक लोगों की पहुँच को बढ़ाने के लिए तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है।
वह एन.ई.पी. 2020: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न नीतिगत कदमों के बारे में विचार-विमर्श के लिए उत्तरी भारत के प्लेनरी सैशन पर नेशनल वैब सीरीज़ के पहले प्रीमियर वर्चुअल इवैंट का उद्घाटन करने के बाद मुख्य मेहमान के तौर पर संबोधन कर रहे थे।
श्रीमती महाजन को इस समारोह में लाइफटाइम अचीवमैंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह समागम ए.डब्ल्यू.एस. (ऐमाज़ॉन वैब सर्विसिज़) द्वारा आई.ई.ई.ई.-प्रकाश भारती (आई.ई.ई.ई. फोटोनिक्स सोसाइटी चैपटजऱ् ऑफ इंडिया के संघ) के सहयोग से करवाया गया।
उन्होंने पंजाब सरकार द्वारा नौजवानों को कुशल बनाकर उनको उद्योगों में काम करने के लिए तैयार करने और देश में प्रतिभा के पलायन करने की समस्या पर नकेल कसने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में विस्तार से बताया।
मुख्य सचिव ने हिस्सेदारों को एक साझे प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए प्रबंधकों को बधाई भी दी, जिससे भविष्य में नए लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।
डॉ. नरेश चंद एफ.आई.ई.ई.ई.-चैप्टर रिलेशन्ज़ के एसोसिएट वाइस प्रैज़ीडैंट, आई.ई.ई.ई. फोटोनिक्स सोसायटी, यूएसए इस समागम में विशेष मेहमान के तौर पर शामिल हुए।
उन्होंने उम्मीद जताई कि ऐसी सहयोगी पहलकदमियों और समागम देश को ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ बनाने के लिए बहुआयामी नेता पैदा करने में मददगार साबित होंगे।
यह समागम तकनीकी तौर पर आई.ई.ई.ई. (इंस्टीट्यूट ऑफ इलैक्ट्रिकल और इलैक्ट्रॉनिक्स इंजीनियजऱ्) रीजन 10 द्वारा प्रायोजित किया गया, जो तकनीक और आई.ई.ई.ई. रीजन 10 शैक्षिक गतिविधियां समिति की तरक्की के लिए विश्व की सबसे बड़ी तकनीकी पेशेवर संस्था है। इसका आयोजन आईजैन ऐजू सल्यूशन्ज़ इंडिया द्वारा किया गया।
इस प्रोग्राम का संचालन प्रो. इन्दरप्रीत कौर, सचिव, प्रकाश भारती, भारत, ऐक्सकोम मैंबजऱ् पीईएस-आईएएस, दिल्ली चैप्टर द्वारा किया गया।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदे जिसको केंद्रीय मंत्रीमंडल द्वारा उच्च शिक्षा के मानक में सुधार लाने और भारतीय शिक्षार्थियों में विश्वव्यापी योग्यता पैदा करने के लिए हाल ही में मंज़ूरी दी गई है, ने इस समागम का आधार बनाया।
क्षेत्र के तकनीकी उद्योगों और रैगूलेटरों के साथ वरिष्ठ अफसरशाही, चांसलरों, उप-कुलपतियों, डायरैक्टर, शिक्षाविदों द्वारा तकनीक को शिक्षा में लाने के लिए उठाए जाने वाले उपायों के बारे में विचार- विमर्श किए।
उत्तरी भारत की यूनिवर्सिटियों के प्रमुख स्तंभ, जिनमें बौद्धिक और महिला अकादमिक नेता भी शामिल थे, ने विचार-विमर्श में सम्मिलन किया। इस मौके पर प्रमुख शख़्िसयतें और प्रसिद्ध प्रवक्ताओं में डॉ. मधु चितकारा (प्रो चांसलर, चितकारा यूनिवर्सिटी पंजाब), पूजा अग्रवाल (प्रो चांसलर, एस.आर.एम.यू लखनऊ), प्रो. प्रीति बजाज (उप कुलपति गालगोटियस यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोयडा), नीरज चंडाल (संयुक्त निदेशक, आई.टी. विभाग, हिमाचल प्रदेश), कुंवर शेखर विजेंद्र (चांसलर, शोभित यूनिवर्सिटी, मेरठ), प्रो. राजिन्दर कुमार अनायथ (उप कुलपति, डी.एस.आर.यू.एस.टी. मुरथल), सुनील पी.पी. (ऐमाज़ॉन इन्टरनेट सर्विसिज), प्रोफ़ैसर शैलेंद्र जैन (डायरैक्टर स्लाईट लोंगोवाल), प्रोफ़ैसर आर.ए. गुप्ता (उप कुलपति, राजस्थान टैक्निकल यूनिवर्सिटी, कोटा) और प्रोफ़ैसर मनोज अरोड़ा (उप कुलपति बी.एम.एल मुंजल यूनिवर्सिटी) शामिल थे।
प्रोग्राम की अध्यक्षता ए.आई.सी.टी.ई., एम.ओ.ई. भारत के पूर्व डायरैक्टर डॉ. मनप्रीत सिंह मन्ना ने की। उन्होंने स्वयं इंडिया के विचार को प्रफुल्लित और प्रोत्साहित किया, जोकि दुनिया के सबसे बड़े एम.ओ.ओ.सी के प्लेटफॉर्मों में से एक है।
इस समारोह की सह-अध्यक्षता ए.डब्ल्यू.एस. इंडिया इन्टरनेट सर्विसिज़ प्राईवेट लिम. के एम्पलॉयबिलिटी कंसलटेंट दिलप्रीत सिंह ने की।