फोर्टिस मोहाली के डॉक्टरों ने घोड़े से गिरने के कारण कई फ्रैक्चर से पीडि़त महिला का सिंगल-स्टेज सर्जरीसे सफल इलाज किया

टेरिबल ट्रायड की चोट को सफल सर्जरी से ठीक कर मरीज को सक्षम बनाया गयासंगरूर, 19 अप्रैल, 2022: गुरुग्राम की एक 37 वर्षीय महिला को जनवरी 2022 में जम्मू और कश्मीर में घोड़े से गिरने के बाद उसकीदोनों कलाईयों में कई फ्रैक्चर के साथ ही दाहिनी कोहनी में भी फ्रैक्चर  हो गया था।एक स्थानीय डॉक्टर से प्राथमिक उपचार प्राप्तकरने के बाद, मरीज के परिवारवालों ने इस साल जनवरी महीने में फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के ऑर्थोपेडिक्स (स्पोर्ट्स मेडिसिन) केडायरेक्टर डॉ. रवि गुप्ता से संपर्क किया

रोगी के दोनों कलाई के एक्स-रे और सीटी स्कैन से पता चला कि घोड़े से गिरने के कारण मरीज की कलाई के जोड़ों को काफी अधिकनुकसान पहुंचा है और दाहिनी कोहनी (टेरिबल ट्रायड) की फ्रैक्चर वाली अव्यवस्था का पता चला, जो अत्यधिक अस्थिर था। डॉ. गुप्ता के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने सिंगल-स्टेज सर्जरी के दौरान सभी फ्रैक्चर्स पर एक जटिल सर्जरी की, जो छह घंटे तक चली।इस साल 18 जनवरी को इस सर्जरी के माध्यम से उनके सभी फ्रैक्चर्स को ठीक किया गया

टेरिबल ट्रायड कोहनी की सबसे गंभीर चोटों में से एक है जिसमें तीन कम्पोनेट्स शामिल होते हैं -जिसमें कोहानी का डिसलोकेट होना(मूल जगह से खिसकना), कोरोनॉइड हड्डी का फ्रैक्चर और हेड रेडियस बोन में फ्रैक्चर होना।

सिंगल स्टेज सर्जरी के तहत, सभी फ्रैक्चर एक ही एनेस्थीसिया के तहत तय किए जाते हैं। ये प्रोसीजर न केवल दूसरी सर्जरी के दर्दको रोकती है, बल्कि लागत प्रभावी भी है।

रोगी की दाहिनी कलाई के फ्रैक्चर को तीन प्लेटों से स्टेबलाइज्ड (स्थिर) किया गया था, जबकि बाईं कलाई को दो तारों से स्थिर कियागया था। दाहिनी कोहनी का डिसलोकेशन ठीक करने के बाद हैड रेडियस वोन के फ्रैक्चर को दो तारों के साथ फिक्स किया गया था।डॉगुप्ता ने कहा कि सर्जरी के तुरंत बाद फिजियोथेरेपी शुरू की गई और सर्जरी के प्रोसीजर के तीसरे दिन मरीज को हॉस्पिटल से छुट्टीदे दी गई।

सर्जरी के छह सप्ताह के बाद, सभी तारों को निकाल दिया गया और अब रोगी दोनों कलाई और दाहिनी कोहनी के साथ लगभग सभीकार्य करने में सक्षम है। वर्तमान में, महिला मरीज अपने रोजमर्रा के सभी कार्यों को करने में सक्षम है और अपने काम पर वापस आचुकी है।

इस मामले के बारे में बातचीत करते हुए डॉ.गुप्ता ने कहा कि ‘‘धुनिक सर्जिकल तकनीकों और कलाई के फ्रैक्चर के लिए बेहदसंवेदनशील इम्पलांट्स की मदद से, हम मरीज को इस तरह के फ्रैक्चर के बावजूद भी अपने सभी तरह के काम करने में सक्षम बनानेमें सफल हुए हैं। पहले के समय में इस तरह के फ्रैक्चर वाले मरीजों की कई तरह के काम करने की क्षमता काफी कम हो जाती थी।’’

कोहनी के फ्रैक्चर के बारे में डॉ. गुप्ता ने कहा कि ‘‘यह एक हुत ही गंभीर चोट है जिसे मेडिकल शब्दावली में ‘टेरिबल ट्रायड’ के नामसे भी जाना जाता है। कोहनी की टेरिबल ट्रायड, एक दर्दनाक  और गंभीर चोट है जो कोहनी की डिस्लोकेशन कर देती है और हैरेडियस में भी फ्रैक्चर कर सकती है। कोहनी के जोड़ के मूल हिस्सों को संरक्षित करके इस चोट वाली जगह का रीकंस्ट्रक्शन एक बेहदजटिल सर्जरी है और इसके लिए र्जन का बेहद कुशल और अनुभवी होने की आवश्यकता होती है। यदि कोई रेडियस का हैड को  अच्छी तरह से रीकंस्ट्रक्ट करने में सक्षम नहीं है, तो सर्जरी के दौरान ई मामलों में रेडियस हेड को धातु के आर्टिफिशियल हेड सेबदल दिया जाता है। लेकिन फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली में डॉक्टरों की मर्पित और अत्यधिक कुशल टीम ने ज्वाइंट रिप्लेसमेंट केबिना रोगी के मूल जोड़ को संरक्षित करने और सामान्य कार्य प्रदान करने के लिए सावधानीपूर्वक काम किया और सफलता हासिलकी।’’

डॉ.गुप्ता ने आगे कहा कि फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली उन कुछ चुनिंदा अस्पतालों में से एक है जहां नियमित रूप से सिंगल-स्टेजसर्जरी की जाती है। उन्होंने कहा कि ‘‘फोर्टिस मोहाली में दिए गए पचार ने कई लोगों की जान बचाई र बदल दी है।’’