क्या आप पंजाब को पेश खतरे को नहीं देख रहें? कैप्टन द्वारा सुखबीर को सवाल,

Punjab Chief Minister Captain Amrinder Singh 51
शिरोमणि अकाली दल के प्रधान को यू.ए.पी.ए पर राजनैतिक नाटक बंद करने की नसीहत
सुखबीर सिंह बादल से अपना दावा सही साबित करने के लिए दर्ज झूठे मामलों की सूची माँगी, अकाली -भाजपा सरकार के दौरान यू.ए.पी.ए के अंतर्गत गिरफ्तार लोगों के नामों की सूची भी मांगी
चंडीगढ़, 30 जुलाई:
सिखस फॉर जस्टिस (एस.एफ.जे) के रैफरैंडम 2020 को खुले तौर पर रद्द कर देने वाले देशों की कतार में यू.के. के भी शामिल होने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने गुरूवार को शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल को भारत विरोधी ताकतों की तरफ से पेश खतरे संबंधी अपनी आँखें खोलने और ग़ैर कानूनी गतिविधियों रोकथाम एक्ट (यू.ए.पी.ए), जिसका पिछली सरकार ने खुल कर इस्तेमाल किया था, सम्बन्धी राजनैतिक ड्रामे से गुरेज़ करने के लिए कहा।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे कहा कि कैनेडा के बाद अब यू.के. ने भी साफ़ तौर पर यह बयान जारी किया है कि उसका इस ग़ैर-अधिकारित रैफरैंडम के साथ कोई भी सम्बन्ध नहीं है और वह पंजाब को भारत का हिस्सा समझते हैं। यू.के. के बयान का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने हैरानी ज़ाहिर की कि क्यों सुखबीर ने पाकिस्तान की हिमायत हासिल सिखस फॉर जस्टिस और भारत और ख़ास कर पंजाब को अस्थिर करने में लगी दहशतगर्दी और गरमख्याली जत्थेबंदियों की तरफ से पेश खतरे की तरफ से आँखें बंद कर रखीं हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि, ‘‘क्या सुखबीर यह नहीं देख सकते कि यू.ए.पी.ए के अंतर्गत की गई गिरफ्तारियां जिनका वह विरोध कर रहे हैं, राज्य सरकार की तरफ से इस खतरे से निपटने के लिए सरकार की तरफ से अपनाई जा रही रणनीति का हिस्सा है?’’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे कहा कि यह बहुत ही मन्दभागी बात है कि एक रचनात्मक विरोधी पक्ष की भूमिका निभाने की जगह अकाली दल की तरफ से अनावश्यक ब्यानबाज़ी करने में समय बर्बाद किया जा रहा है। उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के प्रधान को अपनी तरफ से पहले की गई पेशकश याद करवाई जिसके अंतर्गत यू.ए.पी.ए के दुरुपयोग और इसके अंतर्गत हुई किसी भी गलत गिरफ्तारी सम्बन्धी समीक्षा करने की बात की गई थी बशर्ते कि सुखबीर की तरफ से ऐसा मामला उनके ध्यान में लाया जाये। ‘‘आप मुझे उन मामलों की सूची क्यों नहीं भेजते जिन पर आपका दावा है कि पुलिस की तरफ से यह गलत तौर पर दर्ज किये गए हैं?’’ इसके साथ ही उन्होंने सुखबीर से अकाली -भाजपा हकूमत के दौरान यू.ए.पी.ए के अधीन गिरफ्तार किये गए लोगों के नामों की सूची की माँग भी की।
मुख्यमंत्री ने शिरोमणि अकाली दल के प्रधान को याद करवाया कि बादल सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान यू.ए.पी.ए के अंतर्गत 60 से ज्यादा मामले दर्ज किये थे। इन मामलों में गिरफ्तार किये 225 व्यक्तियों में से 120 या तो बरी हो गए या छोड़ दिए गए। मुख्यमंत्री ने सुखबीर से पूछा कि क्या इतनी बड़ी संख्या में लोगों के बरी होने /छोड़ दिए जाने का यह अर्थ निकाला जाये कि आपने इस एक्ट का प्रयोग अंधाधुन्ध किया थी। उन्होंने पंजाब पुलिस की तरफ से हालिया समय के दौरान यू.ए.पी.ए के अंतर्गत की गई गिरफ्तारियों में से कुछेक को सांप्रदायिक रंगत देने के पीछे शिरोमणि अकाली दल के प्रधान की मंशा पर भी सवाल खड़े किये।
आगे बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि अकाली यह महसूस करते हैं कि यू.ए.पी.ए लोक विरोधी और विभाजन करने वाला एक्ट है तो सुखबीर जोकि पिछली अकाली -भाजपा सरकार में उप मुख्य मंत्री और गृह मंत्री थे, को सत्ता में रहते हुए इतनी बड़ी संख्या में मामलों में इसको लागू नहीं था करना चाहिए। उस समय विरोधी पक्ष रही कांग्रेस ने यह समझा था कि यू.ए.पी.ए का प्रयोग राज्य में दहशतगर्दी को नकेल डालने के लिए किया जा रहा है।
इस मुद्दे पर सुखबीर की ताज़ा टिप्पणियाँ, जिसमें अकाली दल के प्रधान ने यह कहा था कि हम किसी को भाईचारे ख़ास कर हिंदुओं और सिखों में दरार पडऩे की इजाज़त नहीं देंगे, पर व्यंग्य कसते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह शिरोमणि अकाली दल का प्रधान ही हैं जिनकी तरफ से राज्य सरकार की पंजाब विरोधी ताकतों को अपने भद्दे मंसूबों में कामयाब होने से रोकने में डटी राज्य सरकार पर अनावश्यक हमले करके भाईचारे में विभाजन डालने की कोशिश की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने सवाल करते हुए कहा कि क्यों सुखबीर पंजाब के अमन पसंद लोगों को उस राज्य पुलिस के खि़लाफ़ भडक़ा रहे हैं, जोकि बीते तीन बरसों से ज़्यादा समय से सिखस फार जस्टिस और आई.एस.आई के भेजे दहशतगर्दों का कामयाबी के साथ मुकाबला कर रही है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने याद करवाया कि यह पुलिस नहीं बल्कि सुखबीर ही थे जिन्होंने सिख नौजवानों के लिए ‘संभावी दहश्तगर्द ’ शब्द इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा कि अकालियों के ऐसे ग़ैर-जिम्मेदाराना बयान उनको उल्टे पड़ सकते हैं। पंजाब के लोग अकालियों की नफऱत फैलाने वाले और संकुचित राजनीति के झाँसों में नहीं आऐंगे जिनके 10 वर्षोंं के कार्यकाल के दौरान उनको संताप भोगना पड़ा। मुख्यमंत्री ने सुखबीर को यह भी याद करवाया कि कैसे उसकी पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनाव में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था और उसके बाद यह सिलसिला हर चुनाव /उप चुनाव में बादसतूर चलता आ रहा है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य के हितों की रक्षा करना विरोधी पक्ष का नहीं बल्कि सरकार का काम है और सरकार यह काम करने के पूर्ण तौर से समर्थ है। यदि शिरोमणि अकाली दल को पंजाब और उसके लोगों की इतनी ही फिक्र है तो वह केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एन.डी.ए सरकार पर, जिसका वह ख़ुद भी हिस्सा हैं, दबाव डाल कर किसान विरोधी आर्डीनैंस रद्द करवाएं और राज्य सरकार को कोविड से निपटने के लिए अपेक्षित वित्तीय मदद मुहैया करवाने में सहायक हों।
मुख्यमंत्री ने अकाली नेता की तरफ से पुलिस के सीधे तौर पर उनके (कैप्टन अमरिन्दर सिंह) हुक्मों के अंतर्गत काम करती होने सम्बन्धी की गई आलोचना पर कड़ा जवाब देते हुये कहा कि सुखबीर ख़ुद भी गृह मंत्री रह चुके हैं और यह बहुत ही हैरान कर देने वाली बात है कि सुखबीर ने यह सोच लिया कि पंजाब पुलिस उनके (कैप्टन अमरिन्दर सिंह) अधीन नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने सुखबीर को सवाल किया कि ‘‘क्या बतौर गृह मंत्री काम करने का आपका यही ढंग था?’’ और आगे कहा कि उनकी सरकार और इसके अंतर्गत आता हर विभाग पूरी तरह संहिता में रह कि काम करता है जिसके उल्ट अकाली -भाजपा सरकार ने अराजकता भरपूर ढंग अपनाए थे जिन्होंने राज्य और इसके लोगों का कभी भी हित नहीं थे सोचे।
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