मेरा पानी-मेरी विरासत योजना से फसल विविधिकरण की ओर किसानों का रूझान

बाजरा बाहुल्य जिलों में भी दलहन व तिलहन का रकबा बढ़ा
किसानों को भावांतर भरपाई योजना के तहत मिला 436.44 करोड़ रुपये का लाभ

चण्डीगढ़, 21 जनवरी – हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जे.पी. दलाल ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा जल संरक्षण एवं सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए आरम्भ की गई ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ के सकारात्मक परिणाम आने लगे हैं। किसानों का रूझान धान जैसी अधिक पानी से तैयार होने वाली फसलों की बजाय अन्य फसलों की ओर बढ़ा है। बाजरे जैसे बाहुल्य जिलों में दलहन व तिलहन का रकबा बढ़ा है।
श्री जे.पी. दलाल ने इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि राज्य में लगभग 37 लाख एकड़ में धान की खेती की जाती है जो गिरते भू-जल स्तर का मुख्य कारण है। मुख्यमंत्री का मामना है कि हम भावी पीढ़ी को खेतों के साथ-साथ पानी भी विरासत में देकर जाएं, इसके लिए उन्होंने ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ की परिकल्पना की, जो पूरे देश में अपनी तरह की एक अनूठी योजना है।
उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलों को अपनाने पर किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने की शुरूआत की गई और वर्ष 2021 में इस योजना के तहत 32196 किसानों ने 51874 एकड़ क्षेत्र में धान के स्थान पर अन्य फसलों की बुआई की और 7000 रूपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का लाभ लिया।
श्री दलाल ने बताया कि इतना ही नहीं बाजरा बाहुल्य जिलों में भी इस योजना के प्रति किसानों का रुझान देखने को मिला। प्रदेश के 18 जिलों में 12819 किसानों ने 20562 एकड़ क्षेत्र में तिलहन व दलहन की फसलों की बुआई की और 4000 रूपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि का लाभ उठाया। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार जीरो टीलेज बिजाई मशीन से 7131 किसानों ने 14235 एकड़ क्षेऋ में धान की सीधी बिजाई की, जिसके लिए किसानों को 5000 रूपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी गई।
कृषि मंत्री ने बताया कि विभाग की भावांतर भरपाई योजना भी किसानों में काफी लोकप्रिय है। ई-खरीद के माध्यम से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य व बाजार भाव के अन्तराल को पाटने के लिए सरकार की ओर से 600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सीधे किसानों के खाते में डीबीटी के माध्यम से डाले गये और 2 लाख 38 हजार 245 किसानो को 436.44 करोड़ रूपये का लाभ हुआ।

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