जीएसटी दरें बढ़ाने के बजाय पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए मोदी सरकार – भगवंत मान

BHAGWANT MANN
ਜੀਐਸਟੀ ਦਰਾਂ ਵਧਾਉਣ ਦੀ ਥਾਂ ਪੈਟਰੋਲ- ਡੀਜ਼ਲ ਨੂੰ ਜੀਐਸਟੀ ਦੇ ਦਾਇਰੇ  'ਚ ਲਿਆਵੇ ਮੋਦੀ ਸਰਕਾਰ: ਭਗਵੰਤ ਮਾਨ
प्रधानमंत्री मोदी का एकमात्र मंत्र, आम जनता से पैसा वसूल कर कॉर्पोरेट मित्रों को लाभ पहुंचाना – भगवंत मान
भाजपा सरकार है दगाबाज सरकार, यूपी चुनाव खत्म होते ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें और जीएसटी दरें बढ़ाने की फिराक में – भगवंत मान

चंडीगढ़, 7 मार्च 2022

केंद्र सरकार द्वारा वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) की न्यूनतम दर 5% से बढ़ाकर 8% करने की योजना को आम आदमी पार्टी(आप) पंजाब के मुख्यमंत्री उम्मीदवार और सांसद भगवंत मान ने जनविरोधी फैसला करार दिया। मान ने कहा कि मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों और कोविड-19 के कारण पहले से ही महंगाई की मार झेल रही देश की आम जनता पर नया टैक्स लगाने के बजाय मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाकर जनता को महंगाई से राहत पहुंचाए।

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सोमवार को पार्टी मुख्यालय से जारी बयान में भगवंत मान ने केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण क्रूड ऑयल की कीमतें आसमान छू रही है। भारत में पहले से ही पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमत बहुत ज्यादा है, जिसके कारण आम जनता को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों का अब और बढ़ना आम जनता के लिए जहर के समान होगा। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने पर पुनर्विचार करें और आम जनता को राहत पहुंचाने के लिए जीएसटी टैक्स दरें बढ़ने से रोकें।

भगवंत मान ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी सरकार दगाबाज सरकार है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव खत्म ही देश की जनता पर नया टैक्स थोपने और पेट्रोल डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी करने की फिराक में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मूल मंत्र है, “ज्यादा से ज्यादा टैक्स वसूल कर जनता को तबाह करना।” मान ने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ पूरे भारत में बैनर लगा रखे थे, ”बहुत हुआ महंगाई का वार, अबकी बार मोदी सरकार।” अब वही मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल व रसोई गैसों की कीमतें और टैक्स बढ़ाकर आम जनता पर दोहरा प्रहार कर रही है।

मान ने कहा कि अत्यंत जरूरी वस्तुएं और खाद्य पदार्थ जिसके बिना आदमी का काम नहीं चल सकता, वैसी वस्तुएं 5% जीएसटी के दायरे में आती है। इसे बढ़ाकर 8% करने का सीधा असर गरीब और आम जनता पर पड़ेगा। कोरोना वायरस, बेरोजगारी और महंगाई के के कारण आर्थिक तंगी का सामना कर रही आम जनता पर नया टैक्स थोपना उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना और परेशान करना है।

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