आधुनिक शिक्षा प्रदान करते हुए सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के लिए नए भारत में अधिक गुरुकुलों की आवश्यकता है: रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह

दिल्ली, 06 JAN 2024 

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आह्वान किया है कि देश में न केवल आधुनिक शिक्षा प्रदान की जाए, बल्कि भारत की नैतिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के लिए देश में और अधिक गुरुकुल स्थापित किए जाने चाहिए। 06 जनवरी, 2024 को हरिद्वार, उत्तराखंड में स्वामी दर्शनानंद गुरुकुल महाविद्यालय में ‘गुरुकुलम एवं आचार्यकुलम’ की आधारशिला रखने के बाद, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऐसे समय में जब विदेशी संस्कृति के अनुकरण के कारण नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है, युवाओं को नैतिक मूल्यों के समावेश के साथ आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के लिए गुरुकुलों को यह दायित्व निभाने के लिए आगे आना चाहिए।

“लगभग 1,000-1,500 वर्ष पूर्व भारत वर्ष में कई बड़े विश्वविद्यालय थे, जिनमें गुरुकुल परंपरा प्रचलित थी। उसके बाद, देश ने विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा उस व्यवस्था को लगभग नष्ट होते हुए देखा। बदले में, उन्होंने एक ऐसी प्रणाली विकसित की जो हमारे युवाओं को देश की सांस्कृतिक भावना के अनुरूप शिक्षा प्रदान नहीं करती थी। भारतीय संस्कृति को कमतर आंका गया गया। इस भावना ने न केवल हमें राजनीतिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी प्रभावित किया। रक्षा मंत्री ने कहा कि उस दौरान, स्वामी दर्शनानंद जी ने इस गुरुकुल की स्थापना की, जो तत्कालीन समय से हमारी युवा पीढ़ियों को ज्ञान और संस्कृति के माध्यम से  दीप्तिमान कर रहा है।”

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने प्राथमिक शिक्षा से ही युवाओं के मन में नैतिक मूल्यों को विकसित करने के सरकार के संकल्प को दोहराया। उन्होंने कहा कि “देश भर के कई शिक्षण संस्थानों में नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है। यह प्रक्रिया लंबी है क्योंकि शिक्षा व्यवस्था में कोई भी परिवर्तन अचानक नहीं होता। उन्होंने कहा कि गुरुकुल इस लंबी प्रक्रिया में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।”

रक्षा मंत्री ने कहा कि गुरुकुल यह आभास व्यक्त करते हैं कि वे केवल शिक्षा की प्राचीन पद्धतियों का पालन करते हैं, लेकिन आज के समय में वे प्रगति कर चुके हैं और आधुनिक हो गए हैं। उन्होंने गुरुकुलों से आज के निरंतर विकसित हो रहे समय के साथ तारतम्य बिठाते हुए पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसी उभरती और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में अग्रसर होने का आह्वान किया। “ऐसी प्रौद्योगिकियां विकसित करें जो देश को इस क्षेत्र में अग्रणी बनायें। उन्होंने कहा कि गुरुकुलों को अन्य शिक्षण संस्थानों के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करना चाहिए, आने वाले समय में वे एक बार फिर देश और उसकी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करें और भारत की नई पहचान बनें।

श्री राजनाथ सिंह ने देश में सांस्कृतिक विकास में गुरुकुलों की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने सांस्कृतिक उत्थान की दिशा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि “काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और महाकालेश्वर धाम से राम मंदिर तक बुनियादी ढांचागत विकास से पता चलता है कि सरकार हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और उसके उत्थान की दिशा में कार्यरत है। यह विचार सांस्कृतिक संरक्षण से भी आगे जाता है, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां इस महान देश की संस्कृति पर गर्व कर सकें। उन्होंने कहा कि गुरुकुल इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।”

रक्षा मंत्री ने योग के बारे में विशेष उल्लेख किया और बताया कि कैसे इसके हितकारी होने के कारण संपूर्ण विश्व ने प्राचीन भारतीय पद्धति का अनुसरण किया है। “भारत वसुधैव कुटुंबकम (विश्व एक परिवार) की अवधारणा का पालन करता है। हमारे ज्ञान का विशाल भंडार पूरी दुनिया को समर्पित है। अब 21 जून को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि योग की इस प्रथा को, कभी केवल भारत तक ही सीमित माना जाता था, लेकिन अब इसे विश्व स्तर पर लोगों ने स्वीकार किया है, अब योग प्रणाली पूरे विश्व के लोगों के दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।” भारतीय साहित्य में संस्कृत के महत्वपूर्ण स्थान पर प्रकाश डालते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने प्राचीन भारतीय भाषा को उसी तरह बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया जिस प्रकार से योग को लोगों के लिए सुलभ बनाया गया था।

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