शिरोमणी अकाली दल द्वारा प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से दया याचिका पर फैसला  कर भाई राजोआणा की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की अपील

कहा कि ऐसा नही करने से अल्पसंख्यक समुदाय में गलत संदेश जाएगा: सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया

चंडीगढ़/29सितंबर: शिरोमणी अकाली दल के वरिष्ठ अध्यक्ष सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से भाई बलंवत सिंह राजोआणा की  मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की अपील की ताकि उनकी जेल से जल्द रिहाई हो सके।

यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री ने कहा कि पंजाबियों के साथ साथ दुनिया भर में गुरु नाम लेवा संगत को लगता है कि भाई राजोआणा की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने  में देरी हो रही है, क्योंकि केंद्र सरकार ने  2019 में श्री गुरु नानक देव जी की 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर इसे कम करने के अपने फैसले पर अभी तक कार्रवाई नही की है। उन्होने कहा, ‘‘ भाई राजोआणा पिछले 27 सालों से बिना पैरोल के आठ बाई आठ फुट की कोठरी में कैद हैं। उन्होने कहा कि क्योंकि उन्होने आजीवन कारावास की सजा पूरी कर ली है, इसीलिए उन्हे तुरंत रिहा किया जाना चाहिए’’।

सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सही कहा  है कि केंद्र सरकार ने भाई राजोआणा की दया याचिका पर फैसला करने में अत्यधिक समय लिया है। सरदार मजीठिया ने कहा, ‘‘ अब जब शीर्ष अदालत ने केंद्र को कल तक मामले में निर्णय लेने के लिए कहा है, केंद्र सरकार को मामले की असाधारण शर्तों को को ध्यान में रखते हुए मौत की सजा को  उम्रकैद की सजा में तब्दील कर कम करना चाहिए’’।

सरदार मजीठिया ने कहा कि ऐसा नही करने से अल्पसंख्यक समुदाय में गलत संदेश जाएगा। उन्होने बिलकिस बानो मामले का जिक्र किया , जिसमें एक बलात्कारी को छूट दी गई थी। सरदार मजीठिया ने कहा, ‘‘ यह संदेश हरगिज नही जाना चाहिए कि अल्पसंख्यकों के लिए अलग-अलग नियम हैं’’। उन्होने हत्याओं को अंजाम देने वाले पुलिस अधिकारियों को दी गई छूट का भी हवाला देते हुए कहा कि भाई राजोआणा का मामला क्षमादान के लिए एक उपयुक्त मामला है। उन्होने कहा, ‘‘ भाई राजोआणा को उनके  उस कृत्य के लिए दंडित किया गया जो उस गंभीर उकसावे का परिणाम था, जो श्री अकाल तख्त साहिब पर हमले और उसके बाद 1984 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सिखों के कत्लेआम से व्यथित थे। उन्होने कहा कि उनका जेल का आचरण एक आदर्श कैदी का रहा है और वह कैद से रिहा होने के हकदार हैं , क्योंकि उन्होने अपनी आजीवन कारावास की सजा भी पूरी कर ली है’’।

सरदार मजीठिया ने कहा कि भाई राजोआणा और अन्य सिख बंदियों की किसी से भी व्यक्तिगत दुश्मनी नही थी और वे भावनाओं में बह गए थे और आजीवन कारावास की सजा पूरी होने के बाद उन्हे जेल में रखना उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन है। उन्होने सिख बंदियों की रिहाई का विरोध कर रहे लोगों से ऐसा नही करने की अपील करते हुए कहा, ‘‘ हमें संकीर्ण साम्प्रदायिक राजनीति का सहारा नही लेना चाहिए और समुदायों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश नही करनी चाहिए। उन्होने कहा कि पंजाबी इस मामले को बंद कर देना चाहते हैं तथा ऐसा करने से शांति और साम्प्रदायिक सौहार्द्र मजबूत होगा’’।

और पढ़ें :-  बाल विवाह के मुद्दे पर करवाया राज्य स्तरीय समागम

Spread the love