राज्य सरकार ने चार प्रदेशों की खान नीलामी व डाटा शेयरिंग व्यवस्था का अध्ययन कराया ओडीसा में खनन क्षेत्र में तकनीक आधारित पारदर्शी व्यवस्था

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जयपुर, 17 अगस्त। खनन गतिविधियों से ओड़ीसा में सबसे अधिक 30 हजार करोड़ के राजस्व संग्रहण का लक्ष्य है वहीं पारदर्शी और पूरी तरह से तकनीक व सूचना प्रोद्यौगिकी आधारित व्यवस्थाओं के चलते छीजत की संभावनाओं पर अंकुश लगा हुआ है। यह जानकारी मंगलवार कोएसीएस माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल को ओड़ीसा में खनन Žलॉकों की नीलामी और ऑनलाईन डाटा प्रक्रिया का अध्ययन करके आए अतिरि€त निदेशक मुख्यालय श्री एनके कोठ्यारी और एमई सतर्कता जयपुर श्री जीनेश उमड ने अध्ययन रिपोर्ट में दी है।
एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि खनन की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रदेशों ओड़ीसा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक की नीलामी व डाटा व्यवस्था का अध्ययन करने के लिए चार दलों को भेजा गया था। उन्होंने बताया कि राज्य में विपुल खनन संपदा को देखते हुए खनिज खोज व खनन के क्षेत्र में नवाचारों व आधुनिक तकनीक को अपनाने की आवश्यकता है। राज्य में खनिजों की खोज और वैज्ञानिक विधि से खनन पर जोर दिया जा रहा है।
अतिरि€त निदेशक माइन्स श्री कोठ्यारी ने वीसी मेें प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया कि औड़ीसा में उच्च आय के खनिज आयरन 8500 रुपये, क्रोमाइट 17000 रुपये, मैगनीज 22000 रुपये और ग्रेफाइट 36000 रुपये टन की औसत दर वाले खनिजों के खनन से अधिक राजस्व प्राप्त होता है जबकि प्रदेश में प्रमुख रुप से लाइमस्टोन के भण्डार की औसत दर 450 रुपये प्रतिटन होने से राजस्व कम प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि ओड़ीसा में खनिजों की गुणवत्ता व भण्डार की जांच के लिए गुणवत्तायु€त प्रयोगशाला है और ए€सआरएफ एनालाइजर के माध्यम से प्रयोगशाला में त्वरित व त्रुटीपूर्ण जांच होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य में भी खनन गतिविधियों में आधुनिकतम तकनीक और प्रयोगशाला को इ€िवपमेंट संपन्न बनाना चाहिए। इसी तरह से ड्रोन का उपयोग, परिवहन व तुलाई का भी तकनीक आधारित तंत्र विकसित है।
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक की अध्ययन रिपोर्ट पर गुरुवार को चर्चा होगी।वीसी में निदेशक माइंस श्री केबी पाण्ड्या, संयु€त सचिव श्री राजेन्द्र शेखर म€कड, उपसचिव नीतू बारुपाल, अतिरि€त निदेशक श्री बीएस सोढ़ा, संयु€त निदेशक श्री एनएस श€तावत सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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राज्य सरकार ने चार प्रदेशों की खान नीलामी व डाटा शेयरिंग व्यवस्था का अध्ययन कराया ओडीसा में खनन क्षेत्र में तकनीक आधारित पारदर्शी व्यवस्था

जयपुर, 17 अगस्त। खनन गतिविधियों से ओड़ीसा में सबसे अधिक 30 हजार करोड़ के राजस्व संग्रहण का लक्ष्य है वहीं पारदर्शी और पूरी तरह से तकनीक व सूचना प्रोद्यौगिकी आधारित व्यवस्थाओं के चलते छीजत की संभावनाओं पर अंकुश लगा हुआ है। यह जानकारी मंगलवार कोएसीएस माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल को ओड़ीसा में खनन Žलॉकों की नीलामी और ऑनलाईन डाटा प्रक्रिया का अध्ययन करके आए अतिरि€त निदेशक मुख्यालय श्री एनके कोठ्यारी और एमई सतर्कता जयपुर श्री जीनेश उमड ने अध्ययन रिपोर्ट में दी है।
एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि खनन की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रदेशों ओड़ीसा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक की नीलामी व डाटा व्यवस्था का अध्ययन करने के लिए चार दलों को भेजा गया था। उन्होंने बताया कि राज्य में विपुल खनन संपदा को देखते हुए खनिज खोज व खनन के क्षेत्र में नवाचारों व आधुनिक तकनीक को अपनाने की आवश्यकता है। राज्य में खनिजों की खोज और वैज्ञानिक विधि से खनन पर जोर दिया जा रहा है।
अतिरि€त निदेशक माइन्स श्री कोठ्यारी ने वीसी मेें प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया कि औड़ीसा में उच्च आय के खनिज आयरन 8500 रुपये, क्रोमाइट 17000 रुपये, मैगनीज 22000 रुपये और ग्रेफाइट 36000 रुपये टन की औसत दर वाले खनिजों के खनन से अधिक राजस्व प्राप्त होता है जबकि प्रदेश में प्रमुख रुप से लाइमस्टोन के भण्डार की औसत दर 450 रुपये प्रतिटन होने से राजस्व कम प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि ओड़ीसा में खनिजों की गुणवत्ता व भण्डार की जांच के लिए गुणवत्तायु€त प्रयोगशाला है और ए€सआरएफ एनालाइजर के माध्यम से प्रयोगशाला में त्वरित व त्रुटीपूर्ण जांच होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य में भी खनन गतिविधियों में आधुनिकतम तकनीक और प्रयोगशाला को इ€िवपमेंट संपन्न बनाना चाहिए। इसी तरह से ड्रोन का उपयोग, परिवहन व तुलाई का भी तकनीक आधारित तंत्र विकसित है।
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक की अध्ययन रिपोर्ट पर गुरुवार को चर्चा होगी।वीसी में निदेशक माइंस श्री केबी पाण्ड्या, संयु€त सचिव श्री राजेन्द्र शेखर म€कड, उपसचिव नीतू बारुपाल, अतिरि€त निदेशक श्री बीएस सोढ़ा, संयु€त निदेशक श्री एनएस श€तावत सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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राज्य सरकार ने चार प्रदेशों की खान नीलामी व डाटा शेयरिंग व्यवस्था का अध्ययन कराया ओडीसा में खनन क्षेत्र में तकनीक आधारित पारदर्शी व्यवस्था

जयपुर, 17 अगस्त। खनन गतिविधियों से ओड़ीसा में सबसे अधिक 30 हजार करोड़ के राजस्व संग्रहण का लक्ष्य है वहीं पारदर्शी और पूरी तरह से तकनीक व सूचना प्रोद्यौगिकी आधारित व्यवस्थाओं के चलते छीजत की संभावनाओं पर अंकुश लगा हुआ है। यह जानकारी मंगलवार कोएसीएस माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल को ओड़ीसा में खनन Žलॉकों की नीलामी और ऑनलाईन डाटा प्रक्रिया का अध्ययन करके आए अतिरि€त निदेशक मुख्यालय श्री एनके कोठ्यारी और एमई सतर्कता जयपुर श्री जीनेश उमड ने अध्ययन रिपोर्ट में दी है।
एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि खनन की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रदेशों ओड़ीसा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक की नीलामी व डाटा व्यवस्था का अध्ययन करने के लिए चार दलों को भेजा गया था। उन्होंने बताया कि राज्य में विपुल खनन संपदा को देखते हुए खनिज खोज व खनन के क्षेत्र में नवाचारों व आधुनिक तकनीक को अपनाने की आवश्यकता है। राज्य में खनिजों की खोज और वैज्ञानिक विधि से खनन पर जोर दिया जा रहा है।
अतिरि€त निदेशक माइन्स श्री कोठ्यारी ने वीसी मेें प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया कि औड़ीसा में उच्च आय के खनिज आयरन 8500 रुपये, क्रोमाइट 17000 रुपये, मैगनीज 22000 रुपये और ग्रेफाइट 36000 रुपये टन की औसत दर वाले खनिजों के खनन से अधिक राजस्व प्राप्त होता है जबकि प्रदेश में प्रमुख रुप से लाइमस्टोन के भण्डार की औसत दर 450 रुपये प्रतिटन होने से राजस्व कम प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि ओड़ीसा में खनिजों की गुणवत्ता व भण्डार की जांच के लिए गुणवत्तायु€त प्रयोगशाला है और ए€सआरएफ एनालाइजर के माध्यम से प्रयोगशाला में त्वरित व त्रुटीपूर्ण जांच होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य में भी खनन गतिविधियों में आधुनिकतम तकनीक और प्रयोगशाला को इ€िवपमेंट संपन्न बनाना चाहिए। इसी तरह से ड्रोन का उपयोग, परिवहन व तुलाई का भी तकनीक आधारित तंत्र विकसित है।
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक की अध्ययन रिपोर्ट पर गुरुवार को चर्चा होगी।वीसी में निदेशक माइंस श्री केबी पाण्ड्या, संयु€त सचिव श्री राजेन्द्र शेखर म€कड, उपसचिव नीतू बारुपाल, अतिरि€त निदेशक श्री बीएस सोढ़ा, संयु€त निदेशक श्री एनएस श€तावत सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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