सुल्तानपुर और भिंडावास को रामसर साइट्स टैग

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चण्डीगढ़, 17 अगस्त – हरियाणा के गुरुग्राम जिले में सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान तथा झज्जर जिले में भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य की वेटलेंण्ड को रामसर सम्मेलन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व की मान्यता प्रदान की गई है।
ये दोनों जलमय भूमियां शीतकालीन मौसम में प्रवासी पक्षियों के लिए आरामदायक स्थल देने के साथ-साथ उन्हें मोलुक्स, झींगा मछली आदि के रूप में पर्याप्त भोजन उपलब्ध करवाती हैं।
इस संबंध में जानकारी सांझा करते हुए सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि हर साल 100 से अधिक प्रजातियों के लगभग 50,000 प्रवासी पक्षी दुनिया के विभिन्न हिस्सों मुख्य रूप से यूरेशिया से सुल्तानपुर आते हैं।
सर्दियों के दौरान सुल्तानपुर में प्रवासी पक्षियों की चहचाहट एक सुरम्य चित्रमाला सरीखी उपलब्ध करवाने का काम करती है जिसमें सारस क्रेन, डेमोइसेल क्रेन, उत्तरी पिंटेल, उत्तरी फावड़ा, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, वेडर, ग्रे लैग गूज, गडवाल, यूरेशियन विजन, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट आदि पक्षी शामिल होते हैं। .
प्रवक्ता ने बताया कि सुल्तानपुर कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों के निवासी पक्षियों का भी स्थल है। धान के ग्रे फ्रेंकोलिन, ब्लैक फ्रेंकोलिन, इंडियन रोलर, रेड-वेंटेड बुलबुल, रोज-रिंगेड पैराकेट, शिकारा, यूरेशियन कॉलर डव, लाफिंग डव, स्पॉटेड ओवलेट, रॉक पिजन, मैगपाई रॉबिन, ग्रेटर कौकल, वीवर बर्ड, बैंक मैना, कॉमन मैना और एशियन ग्रीन बी-ईटर आदि पक्षी सुल्तानपुर की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।
हरियाणा में भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य मीठे पानी की आद्र्रभूमि का सबसे बड़ा स्थल है। सर्दियों के दौरान 80 प्रजातियों के 40 हजार से अधिक पक्षी भिण्डावास में भ्रमण करने के लिए आते हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि भिंडावास में सफेदा और बबुल के ऊंचे पेड़ हैं जो ओरिएंटल हनी-बजर्ड़, पाइड किंगफिशर आदि पक्षियों के लिए बहुत अच्छा आवास प्रदान करते हैं।
हरियाणा सरकार ने सुल्तानपुर और भिंडावास को छोटा आईसलेंण्ड बनाने के लिए आद्र्रभूमि में टीले का निर्माण और छोटे द्वीपों के निर्माण जैसे कई विकास कार्य किए हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि इस क्षेत्र में पक्षियों के लिए लुभावने फाईकस और कीकर जैसे अधिक से अधिक पेड़ लगाकर वनस्पति को बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा लंबे नीलगिरी के पेड़ मधुमक्खियों को आकर्षित करते हैं। इन आद्र्रभूमियों में भोजन की कोई कमी नहीं है। यहां सुल्तानपुर में सारस सहित कई निवासी पक्षियों ने प्रजनन करना शुरू कर दिया है।
उन्होंने बताया कि प्रवासी पक्षियों के लिए सुल्तानपुर और भिंडावास दोनों वातावरण के अनुरूप शानदार गलियारे का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और सर्दियों में कई पक्षियों के लिए फ्लाईवे बनाने का कार्य करते हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से भारत में आने वाले सभी प्रवासी पक्षी मुख्य रूप से यूरेशिया व अन्य स्थानों पर जाने से पहले यहां विश्राम करते हैं।
रामसर ईरान के उत्तर में कैस्पियन सागर के पास एक तटीय शहर है। यह आद्र्रभूमि जल विज्ञान चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो पर्यावरण को शुद्ध करते हुए प्रकृति की गोद के रूप में जाना जाता है। उन्होंने बताया कि प्रवासी जलपक्षियों के लिए आद्र्रभूमि में आवास के नुकसान और गिरावट को ध्यान में रखते हुए रामसर शहर में 1971 में सम्मेलन हुआ। इसके अंतर्राष्ट्रीय महत्व को ध्यान में रखते हुए आद्र्रभूमि पर सन 1975 में एक संधि लागू हुई। यह संधि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से आद्र्रभूमि के संरक्षण के लिए मजबूत ढांचा प्रदान करती है।
प्रवक्ता ने बताया कि रामसर कन्वेंशन के दौरान दुर्लभ और अद्वितीय आद्र्रभूमि स्थलों को नामित किया गया है जो जैविक विविधता के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं। एक बार इन साइटों को अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स की कन्वेंशन की सूची में जोड़ा जाये तब इन्हें रामसर साइट के रूप में जाना जाता है।
प्रवक्ता ने बताया कि ‘रामसर’ एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय टैग है, जो आद्र्रभूमि को उसके पारिस्थितिक महत्व के लिए अंतर्राष्ट्रीय महत्व प्रदान करता है। इस प्रकार हरियाणा की आद्र्रभूमि पहली बार विश्व स्थल के पटल पर आई हैं।