धान की पराली को आग लगाना मानवीय स्वास्थ्य के लिए खतरनाक: डिप्टी कमिश्रर

DC Hoshiarpur

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– कहा, पशुओं के सूखे चारे के तौर पर इस्तेमाल की जा सकती है धान की पराली
– प्रति एकड़ पराली जलाने पर 2856 किलो कार्बन डाइऑक्साइड, 120 किलो कार्बन मोनोआक्साईड, 6 किलो धूल के कण और 4 किलो सल्फर डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें होती हैं पैदा
होशियारपुर, 29 सितंबर  
डिप्टी कमिश्नर अपनीत रियात ने बताया कि धान की पराली को आग लगाना मानवीय स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है। उन्होंने बताया कि फसलों के अवशेष को आग लगाने से पैदा होने वाला प्रदूषण गर्भवती महिलाओं व नव जन्मे बच्चे के लिए बहुत खतरनाक होता है, इसके लिए किसानों को आग लगाने की बजाए इसके प्रबंधन की ओर से ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान धान की पराली के प्रबंधन के लिए आधुनिक खेती मशीनें किराए पर ले सकते हैं।
डिप्टी कमिश्रर ने कहा कि धान की पराली का प्रयोग पशुओं के सूखे चारे के तौर पर किया जा सकता है, इस लिए जहां पराली का निपटारा आसानी के साथ हो सकेगा, वहींं पशु पालन के लिए सस्ता चारा भी उपलब्ध हो सकता है। उन्होंने बताया कि खेतों में फसलों के  अवशेषों को आग लगाने से वातावरण तो प्रदूषित होता ही है, साथ ही जमीन में मौजूद मित्र कीड़े और अन्य उपजाऊ तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अनुसार पराली को आग लगाने पर प्रति एकड़ 2856 किलो कार्बन डाइआक्साइड, 120 किलो कार्बन मोनोआक्साइड, 4 किलो सल्फर डाइऑक्साइड और 6 किलो धूल के कण पैदा होते हैं। उन्होंने बताया कि यह हानिकारक गैसों मनुष्य व जानवरों की सेहत के लिए काफी घातक हैं।
अपनीत रियात ने बताया कि किसानों की तरफ से खेती साथ-साथ पशु पालन का पेशा भी किया जाता है और किसान इस दौरान पशुओं के लिए हरे चारे के साथ सूखे चारे के तौर पर भूसे के प्रयोग करते हैं जो कि 350 रुपए प्रति क्विंटल है। उन्होंने बताया कि  यदि पराली का प्रयोग किया जाए तो यह केवल 100 रुपए प्रति क्विंटल ही पड़ती  है। उन्होंने बताया कि पराली के प्रबंधन के कई तरीके हैं परन्तु चारे के तौर पर किसानों के लिए सब से सस्ता और लाभकारी विधि है, क्योंकि इस तरीके में महंगे भूसे की बचत कर सस्ती पराली का प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पराली के पौष्टिक गुण अन्य फसलों के भूसे के लगभग बराबर ही हैं।
डिप्टी कमिश्रर ने बताया कि माहिरों के अनुसार पराली को कटाई से 2 से 10 दिन के बीच संभाल लिया जाए तो इसको पशु ज्यादा पसंद करते हैं। पशु पालन विभाग की सलाह के साथ पराली का यूरिया के साथ उपचार करके इस का स्वाद और पौष्टिकता और बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि पशुओं के लिए पराली का अचार भी बनाया जा सकता है।

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