धान की पराली को खेतों में ही नष्ट कर सफलता से खेती कर रहा गांव खेड़ी घंटियां का किसान गुरप्रीत सिंह

Patiala farmer

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– हैप्पी सीडर से बिजाई करने पर खर्चे में आई कमी गुरप्रीत सिंह
– 2 बीघा से शुरू करके अब 60 बीघा में सीधी बिजाई से कर रहा हूं खेती
– पर्यावरण को दूषित न करके सुकून महसूस करता हूं गुरप्रीत सिंह
पटियाला 1 अक्टूबर
धान की पराली को खेतों में ही नष्ट करके गांव खेड़ी घंटियां का पढ़ा-लिखा नौजवान किसान गुरप्रीत सिंह 40 एकड़ जमीन में सफलतापूर्वक खेती कर रहा है। गुरप्रीत सिंह ने अपनी सफल खेतीबाड़ी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने पिछले 5 सालों दौरान अपने खेतों में कभी आग नहीं लगाई, जिससे फसलों के लाभदायक मित्र कीड़े जमीन की उपज को शक्ति दे रहे हैं और पहले से खेतों में यूरिया खाद का प्रयोग भी कम हो रहा है। जमीन में नमी की मात्रा में भी पहले से ज्यादा इजाफा हुआ है और जमीन की उर्वरा शक्ति में शानदार इजाफा हुआ है।
  युवा किसान गुरप्रीत सिंह ने बताया कि अन्य लाभों के अलावा सबसे बड़ा फायदा पर्यावरण को दूषित होने से बचाने का हुआ है। उन्होंने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट हैं कि वह पर्यावरण को दूषित करने वाली तकनीक के बिना सफलता पूर्वक खेती कर रहे हैं और वह इस बात से भी बड़ा सुकून महसूस करते हैं। 37 वर्षीय किसान गुरप्रीत सिंह ने बताया कि उन्होंने महज दो बीघा जमीन से सीधी बिजाई का काम शुरू किया था और इसके बाद अब सफलतापूर्वक 60 बीघा जमीन में सीधी बिजाई से धान की फसल उगा रहे हैं। इस किसान का कहना है कि धान की अगेती फसल को 15 एकड़ सुपर एस.एम.एस की सहायता से काटते हैं और फिर इसे खेत को हैंरों की सहायता से तैयार करते हैं। 10 दिन के बाद गेहूं की बिजाई कर गुरप्रीत ने बताया कि हैप्पी सीडर की मदद से धान के बाद गेहूं की बिजाई में आसानी होती है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर किसान खेत को सात से आठ बार तैयार करता है जबकि हैप्पी सीडर की सहायता से एक बार में ही गेहूं की बिजाई हो सकती है। उन्होंने बताया कि हैप्पी सीडर से बिजाई करके जहां वातावरण साफ़ रखा जा सकता है, वहीं खेत में पराली को पूरी तरह से जैविक स्थिति में सुधार आ जा सकता है। साथ ही लेबर और ऊर्जा जैसे साधनों की बचत भी होती है। नदीन नाशक का प्रयोग पहले से बेहद कम हो रहा है। साथ ही गेहूं की उपज में भी प्रति एकड़ इजाफा आंका गया है। उन्होंने किसानों को धान की पराली को आग लगाने के बजाय खेतों में ही नष्ट करने की अपील करते हुए कहा कि वह वातावरण को दूषित होने से बचाएं और हमारे खेतों की उपजाऊ शक्ति में इजाफा करें। उन्होंने कहा कि इस प्रयास के जरिए हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को साफ पर्यावरण और उपजाऊ जमीन दे सकेंगे
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