किसान संघर्ष के साथ साथ अकाली दल के बसपा द्वारा तीनों काले कानून रदद करवाने के लिए की जा रही कोशिशों को ठेस पहंचाने के लिए गहरी साजिश के तहत् यह हमले हुए: अकाली लीडरशीप
चंडीगढ़/20सितंबर 2021
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कार्रवाई करने वालों का दावा करने वाले तत्वों द्वारा उनके खिलाफ की गई ‘‘ गुंडागर्दी, बर्बरता और आतंकवादी रणनीति’’ के शिकार लोगों ने आज किसान आंदोलन के नेताओं से ‘‘ दोषियों को पहचानने , उन्हे अलग थलग करने और दंडित करने का आहवाहन किया। पीड़ितों ने पिछले साल सिंतबर में सरकार द्वारा पारित तीनों काले कानूनों को रदद करने की किसानों की मांगों के समर्थन में 17 सितंबर के विरोध मार्च के रास्ते में प्रताड़ना, उत्पीड़न और अपमान की भयावह दास्ता सुनाई।
पीड़ितों में से कई वास्तव में किसानों के साथ विरोध प्रदर्शन में टिकरी और सिंघू बार्डर पर सक्रिय भागीदार रहे हैं, जोइन सीमाओं पर परिवारों के साथ महीनों उनके साथ रहे हैं। कुछ पीड़ितो ने कहा कि मोर्चा में लाखों रूपये, लकड़ियां, आटा तथा जीवन के अन्य उपयोग में आने वाली सामग्री देने में काफी योगदान दिया है।
पीड़ितों मे ंधर्मी फौजी भी शामिल थे, जिन्होने पवित्र श्री हरमंदिर साहिब पर सेना के हमले के विरोध में बैरक छोड़ दी थी और साथ ही परिवारों के सदस्य शामिल थे, जो नवंबर में 1984 कत्लेआम के बाद दिल्ली से उखाड़े जाने पर पंजाब में बस गए ।
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‘‘ पीड़ितो ने आज यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा ‘‘ जिन तत्वों के नापाक कृत्यों के बारे में एसकेएम अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए, उन्होने पगड़ी और दाढ़ी जैसे सिख पहचान चिन्ह को अपवित्र करने सहित अपमानजनक रणनीति का इस्तेमाल किया।पीड़ितो ने मीडियाकर्मियों से कहा कि उनमें से कई पूरी तरह नशे में थे और महिलाओं और बुजूर्गों के खिलाफ बेहद गंदी और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया’’।
पीड़ितों ने एसकेएम के नेताओं से कहा कि वे इन तत्वोें के खिलाफ कार्रवाई करें, जिन्होने अपनी ओर से ऐसा काम किया है। यदि वे वास्तव में किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए ‘‘ कुछ सरकारी एजेंसियों ’’ की ओर से काम कर रहे थे और साथ ही एसकेएम के लिए एकजुटता और समर्थन व्यक्त करने दिल्ली जा रहे किसानों के बीच विभाजन पैदा कर रहे थे।
‘‘ यह एक गंभीर बात है और यह पंजाब के सामाजिक ताने बाने में विभाजन पैदा करने, भाईयों को एक दूसरे के खिलाफ बांटना, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में ऐसा करना उनका उददेश्य था। एसकेएम को इस मामले की गहराई से जांच करनी चाहिए अन्यथा जो एजेंसियों पंजाब में विभाजन पैदा करने और हिंसा पैदा करने पर आमादा है, वे सफल हो जाएंगी तथा इसका सारा दोष किसानों पर मढ़ देंगी’’।
‘‘ इंदिरा गांधी के कार्यकाल में एशियाई खेलों के दौरान सिख समुदाय के निर्दोष, रक्षाहीन महिलाओं और बुजूर्गों के साथ जो किया गया था, उसकी यादें ताजा हो गई हैं।पीड़ितों ने कहा कि निर्दोष तथा शांतिपूर्ण नागरिकों के साथ ऐसा किया जाना बेहद बेशर्म और घृणित आचरण है’’।
जिन पीड़ितों को तब निशाना बनाया गया, जब वे किसानों की मांगों के समर्थन में संसद तक शिअद-बसपा विरोध मार्च में भाग लेने जा रहे थे।उन्होने तीनों काले कानूनों को रदद करने के लिए पार्टी के समर्थन में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यालय में अकाली नेताओं की उपस्थिति में एकत्र हुए। वरिष्ठ अकाली नेता स. बलविंदर सिंह भूंदड़, जत्थेदार तोता सिंह, महेशइंदर सिंह ग्रेवाल, प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा, डाॅ. दलजीत सिंह चीमा, और गुरप्रताप सिंह वडाला