शिरोमणी अकाली दल के प्रतिनिधिमंडल ने उपराष्ट्रपति तथा पंजाब यूनिवर्सिटी के चासंल से आग्रह किया कि वे प्रशासकी सुधारों के नाम पर पीयू के अद्धितीय रूप के साथ छेड़छाड़ न करे

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चांसलर प्रशासकी सुधारों पर उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट वापिस लेने का आदेश दें: सरदार सुखबीर सिंह बादल
चांसलर ने सभी विवादास्पद मुददों का समाधान करने का आश्वासन दिया
चंडीगढ़/23जुलाई 2021 शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल की अगुवाई में पार्टी का प्रतिनिधिमंडल आज उपराष्ट्रपति और पंजाब विश्वविद्यालय के वाईस चासंलर एम. वैंकेया नायडू से पंजाबी गौरव के प्रतीक के रूप में पंजाब यूनिवर्सिटी के अनूठे चरित्र के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ न करें और प्रशासकी सुधारों पर चांसलर की उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट वापिस लेने का आग्रह किया।
प्रतिनिधिमंडल में पूर्व केंद्रीय मंत्री सरदारनी हरसिमरत कौर बादल, सरदार बलविंदर सिंह भूंदड़ तथा नरेश गुजराल शामिल थे, ने पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रादेशिक क्षेत्राधिकार को कम करके पंजाब के काॅलेजों की मान्यता रदद करने सहित उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा की गई सभी सिफारिशों को वापिस लेने की मांग की।
प्रतिनिधिमंडल ने चांसलर को बताया कि उच्च स्तरीय कमेटी को पंजाब विरोधी ताकतों ने अगवा कर लिया है, जो शासन सुधारों के नाम पर विश्वविद्यालय के रूप को बदलने की मांग कर रहे हैं। इसमें कहा गया कि स्वेच्छा से चलने वाली संस्था के पूर्व छात्रों को निर्वाचित प्रतिनिधियों से सभी शक्तियां हथिया लेने और कुलपति को पद प्रदान करने का प्रयास चल रहा था। इसमें कहा गया है कि कमेटी ने सिफारिश करते हुए संस्था से पंजाबियों का सफाया करने की मांग की कि सिंडिकेट में निर्वाचित प्रतिनिधियों के बजाय केवल एक्स- आॅफिसियो तथा मनोनीत सदस्य ही हागें।
अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि ड्रेकोनियन सिफारिशों से अपने निर्वाचित सदस्यों के माध्यम से पंजाब के लोगों के दिलों में गहरा अविश्वास पैदा कर दिया। ‘‘ उनकी आवाज दबा दी गई तथा उन्हे राष्ट्रीय मुख्यधारा से बाहर धकेलने की साजिश का हिस्सा है। पंजाबी इस क्षेत्र और शासन सुधारों की आड़ में अपनी गौरवान्वित संस्कृति, लोकाचार को तहस नहस करने की साजिश से बेहद परेशान है। पंजाब विश्वविद्यालय का इस तरह से सांस्कृतिक तथा प्रशासनिक अधिग्रहण राज्य की राजधानी , नदी जल और पंजाबी भाषी क्षेत्रों को छीनने सहित पंजाबियों पर कहर बरपाने जैसा है’’।
सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि विश्वविद्यालय के संस्थापकों की इच्छाशक्ति और दूरदर्शिता के अनुसार पंजाब के लोगों के लिए अकादमिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक विरासत को सरंक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था। उन्होने कहा कि यह प्रयास संघ विरोधी नीतियों के तहत पंजाबियों का उन्मूलन करने के लिए किया गया है। उन्होने चांसलर से इस मामले में तुरंत उपचारात्मक कार्रवाई करने का आग्रह किया।
श्री वैंकेया नायडू ने अकाली दल के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि पंजाब विश्वविद्यालय ऐसा कोई निर्णय न ले , जिससे पंजाबियों के हितों को नुकसान पहुंचे और उन्होने इस मामले में सभी विवादास्पद मुददों को सुलझाया जा रहा है, इसकी जांच कर रही है। प्रतिन

 

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