मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को याद दिलाया वादा ईआरसीपी को घोषित करें राष्टींय महत्व की परियोजना
जयपुर, 20 फरवरी। मुख्यमंत्री अशाेक गहलोत ने शनिवार काे प्रधानमंत्री
नरेन्द्र माेदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की छठी बैठक में
राजस्थान की जल आवश्यकताआें काे लेकर मजबूती से पक्ष रखा। उन्हाें ने प्रधानमंत्री काे
उनका वादा याद दिलाते हुए पूर्वी राजस्थान नहर परियाेजना (ईआरसीपी) काे जल्द से
जल्द राष्टींय महत्व की परियाेजना घाेषित करने का आग्रह किया।
गहलोत ने प्रधानमंत्री से कहा कि 7 जुलाई, 2018 काे जयपुर आैर 6 अक्टूबर,
2018 काे अजमेर में आयोजित रैली काे संबोधित करते हुए आपने पूर्वी राजस्थान नहर
परियाेजना काे राष्टींय महत्व की परियोजना घाेषित करने का वादा किया था, लेकिन अभी
तक इस पर काेई क्रियान्विति नहीं हाे सकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के 13 जिलों
(झालावाड़, बारां, काेटा, बूंदी, सवाईमाधाेपुर, अजमेर, टाेंक, जयपुर, करौली, अलवर,
भरतपुर, दौसा एवं धाैलपुर) काे पेयजल एवं सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने की दृष्टि से
अतिमहत्वपूर्ण इस प्राेजेक्ट काे जल्द से जल्द राष्टींय महत्व की परियाेजना का दजा र् दिया
जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना से इन 13 जिलों में 2.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र
में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हाेगी। साथ ही, केन्द्र प्रवर्तित योजना
जल जीवन मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए भी जल स्राेत की आवश्यकता पूरी हो
सकेगी। उन्हाेंने कहा कि केन्द्र सरकार ने पूर्व में विभिन्न राज्यों की 16 बहुउददेशीय
सिंचाई परियाेजनाआें काे राष्टींय परियोजनाआें का दजार् दिया है। पूर्वी राजस्थान नहर
परिया ेजना का अनुमानित खर्च करीब 40 हजार कराेड़ रूपये है, जाे राज्य सरकार द्वारा
वहन किया जाना संभव नहीं है, इसलिए राज्य हित में इस प्राेजेक्ट की महत्ता काे देखते
हुए केन्द्र सरकार इसमें सहयोग प्रदान करे।
जल जीवन मिशन में मिले 90ः10 के तहत सहायता
गहलोत ने कहा कि राजस्थान में देश का 10 प्रतिशत भू-भाग है, जबकि देश
का केवल 1 प्रतिशत पानी यहां उपलब्ध है। राजस्थान रेगिस्तानी एवं मरूस्थलीय क्षेत्र
हा ेने के साथ ही यहा ं सतही एवं भ ू-जल की भी काफी कमी ह ै। गा ंव-ढाणियों के बीच
दूरी अधिक हाेने के साथ ही विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां घर-घर
पेयजल उपलब्ध करवाने में लागत अन्य राज्यों के मुकाबले काफी ज्यादा आती है। इसे
देखते हुए केन्द्र सरकार उत्तर पूर्वी एवं पहाड़ी राज्यों की तरह प्रदेश काे भी जल जीवन
मिशन में 90ः10 के तहत सहायता उपलब्ध कराए।
पाेटाश के खनन में सहयाेग करे केन्द्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्लभ खनिज पोटाश के मामले में हमारा देश पूरी तरह
आयात पर निभर्र है। राजस्थान में इस खनिज के अथाह भण्डार माैजूद हैं। हमारा प्रयास
है कि इसका समुचित दाेहन हाे आैर पूरे देश काे इसका लाभ मिले। उन्हाेंने कहा कि
भारत सरकार के मिनरल एक्सप्लाेरेशन कॉपाेर्रेशन लिमिटेड एवं भारतीय भू-विज्ञान
सर्वेक्षण के माध्यम से इस खनिज के दाेहन की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। केन्द्र
सरकार इस कार्य में भी आवश्यक सहयाेग प्रदान करे।
गहलोत ने कहा कि काेविड-19 महामारी के गंभीर संकट के बाद अर्थव्यवस्था
काे पटरी पर लाने के साथ ही राेजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराना जरूरी है।
केन्द्र सरकार इस दिशा में भी सकारात्मक पहल कर राज्याें काे राहत प्रदान करे।
बैठक में उद्याेग मंत्री परसादीलाल मीणा, कृषि मंत्री लालचन्द कटारिया,
तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग, अतिरिक्त मुख्य सचिव जलदाय श्री सुधांश पंत,
प्रमुख शासन सचिव कृषि कुंजीलाल मीणा, प्रमुख शासन सचिव ऊर्जा दिनेश
कुमार, प्रमुख शासन सचिव पीडब्ल्यूडी राजेश यादव, प्रमुख शासन सचिव जल
संसाधन नवीन महाजन, शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा वैभव गालरिया, शासन
सचिव आयोजना नवीन जैन, शासन सचिव महिला एवं बाल विकास केके पाठक,
शासन सचिव उद्याेग आशुतोष एटी पेडनेकर, शासन चिकित्सा सिद्धार्थ महाजन
सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।