पराली को आग लगाने से पैदा हुए संकट से किसान सावधान रहें, गांव स्तरीय जागरुकता कैंप का संदेश

crop stubble burning machine

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– पराली को आग लगाने के रुझान को रोकना समय की मुख्य मांग: बैंस
होशियारपुर, 04 नवंबर:
पंजाब सरकार की ओर से धान की पराली के प्रबंधन के मद्देनजर शुरु किए गए जागरुकता अभियान के अंतर्गत स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल में विशेष कैंप लगाया गया जहां पराली के सही ढंग से निपटारे संबंधी किसानों को जानकारी दी गई।
इस गांव स्तरीय जागरुकता कैंप में केंद्र के डिप्टी डायरेक्टर(ट्रेनिंग) डा. मनिंदर सिंह बौंस ने पराली को आग लगाने से पैदा हुई समस्याएं विशेष तौर पर वातावरण संकट व मानवीय जीवन को होते नुकसान से परिचित करवाते हुए किसानों को आह्वान किया कि वे इस गलत रुझान से अपने साथियों को भी परिचित करवाएं।
किसानों को अपील करते हुए बौंस ने कहा कि पराली को आग लगाने के रुझान को रोकना समय की मुख्य मांग है, जिसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए ताकि जागरुकता का जमीनी स्तर तक असरदार तरीके से प्रसारित की जा सकगे। किसानों को प्राकृतिक ोतों की संभाल व फसलों के अवशेषों के सुचारु प्रयोग के लिए प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा करके ही वातावरण, मित्र कीड़ों व मानवीय जीवन को स्वस्थ रखा जा सकता है।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के प्रमुख प्रसार माहिर वैज्ञानिक, फार्म मशीनरी व पावर इंजीनियरिंग विभाग से आए डा. महेश नारंग ने कृषि मशीनरी के माध्यम से धान की पराली के प्रबंधन के बारे में तकनीकी जानकारी देते हुए किसानों को मशीनों से फसलों के अवशेष संभालने के पहलुओं से परिचित करवाया।
प्रमुख गेहूं वैज्ञानिक, प्लांट बरीडिंग व जैनेटिक्स विभाग के डा. जौहर सिंह ने गेहूं की किस्मों व उनकी काश्त के सुझावों पर प्रकाश डाला। सहायक प्रोफेसर(सब्जी विज्ञान) डा. सुखविंदर सिंह औलख ने किसानों को धान की पराली के प्रयोग के माध्यम से मशरुम की काश्त के गुर बताए। माहिरों की ओर से धान की पराली प्रबंधन के लिए सुपर सीडर व हैप्पी सीडर के माध्यम से गेहूं का विधि प्रदर्शन कर दिखाया गया। इस मौके पर किसानों की सुविधा के लिए रबी की फसलों के बीज, सर्दी सब्जियों की किटें, दालें व तेल बीज किटें, पशुओं के लिए धातु का चूरा, गेहूं के लिए जीवाणु खाद के टीके व खेती साहित्य भी उपलब्ध करवाया गया।

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