– गांव पंडोरी का प्रगतिशील किसान 28 एकड़ में करता है खेती
होशियारपुर, 24 अक्टूबर:
पंजाब सरकार व जिला प्रशासन की हिदायत के अनुसार जहां कृषि विभाग की ओर से गांवों में जाकर किसानों को पराली न जलाने से रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं वहीं पराली के सुचारु प्रबंधन के लिए सब्सिडी पर कृषि मशीनरी भी दी जा रही है ताकि हमारा वातावरण प्रदूषण मुक्त हो सके। इसी कड़ी में मुकेरियां के गांव पंडोरी का किसान गुरनाम सिंह बाजवा 10 वर्षों से करीब 28 एकड़ रकबे में फसलों के अवशेषों को बिना जलाए सफलतापूर्वक खेती कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा ोत बना हुआ हैं।
किसान गुरनाम सिंह बाजवा ने बताया कि वह करीब 28 एकड़ में गेहूं, धान, गन्ना व दाले(मांह, मूंगी आदि) की खेती करता है। उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों से उन्होंने पराली को आग नहीं लगाई। शुरुआत के तीन वर्ष उन्होंने पराली का प्रयोग पशुओं के चारे के लिए किया, उसके बाद से उन्होंने धान की कटाई के बाद कुछ रकबे के नाड़ को गुज्जनों से इक्_ा करवा कर जीर टिल ड्रिल से गेहूं की बिजाई कर रहे हैं। वर्ष 2017 में उन्होंने रोटावेटर का प्रयोग कर विभाग की गाइडलाइन के अनुसार पराली का खेतों में ही प्रबंधन किया और उस वर्ष उनके खेतों की उपज में काफी वृद्धि हुई।
गुरनाम सिंह ने बताया कि वर्ष 2019 में उन्होंने गांव के लोगों को इक_ा कर वाहेगुरु फार्मर वेलफेयर सोसायटी नाम का किसान ग्रुप बनाकर हैप्पी सीडर, मल्चर, एम.बी प्लोअ आदि उपकरणों की कृषि विभाग से सब्सिडी प्राप्त कर खरीद की। उन्होंने बताया कि इन उपकरणों का अपनेे खेतों में प्रयोग करने के साथ-साथ वे साथ लगते गांवों के किसानों को भी फसलों के अवशेषों का खेतों में ही प्रबंधन करने के लिए प्रेरित करते आ रहे हैं। वर्ष 2019 में हैप्पी सीडर का प्रयोग करते हुए उन्होंने लगभग 4 एकड़ गेहूं की बिजाई की, जिस दौरान कृषि विभाग व पी.ए.यू लुधियाना की सिफारिश के अनुसार इंटपुट्स का प्रयोग करते हुए उपज में वृद्धि हुई।
गुरनाम सिंह ने बताया कि मल्चर व एम.बी. प्लोअ का प्रयोग करने से नदीनों की समस्या, जो कि गंभीर समस्या बनी हुई है का पूर्ण तौर पर हल हो जाता है व पराली को खेतों में मल्चर करने से खेत की गुणवत्ता व खेत की उपजाऊ शक्ति में काफी वृद्धि हो जाती है। उनका कहना है कि सभी किसानों को इसी तरह खेती अपना कर अपने वातावरण को प्रदूषित होने से बचाना चाहिए।