गर्मी और बरसात के मौसम में मलेरिया से रखें बचाव

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बिलासपुर 19 मई , 2021 – मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डाॅ0 प्रकाश दरोच ने जानकारी देते हुए बताया कि अब गर्मियों का मौसम और फिर बरसात आने वाली है इस बजह से मलेरिया होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया कि मलेरिया एक तेज बुखार वाली संक्रामक बीमारी है जो एक सूक्ष्म जीव मलेरिया पैरासाईट द्वारा होती है जिसे एनाफ्लीज मादा मच्छर एक मलेरिया रोगी से ग्रहण करके अन्य स्वस्थ व्यक्तियों तक पहुंचाती है। मलेरिया का संक्रमण किसी भी आयु एंव लिंग के व्यक्ति को हो सकता है।
उन्होंने मलेरिया के लक्षणों की जानकारी देते हुए बताया कि मलेरिया की तीन अवस्थाएं होती है। जिसमें शीत वाली अवस्था में तेज सर्दी, शरीर में कंपकंपी, सिर मे दर्द, खूब कपड़े ओढ़ना तथा गर्मी वाली अवस्था में तेज बुखार, ओढ़े व पहने हुए कपड़े उतार फैंकना और पसीने वाली अवस्था में अधिक पसीने के साथ बुखार उतरना व कमजोरी महसूस होना है।
खून की जांच करवाएं
उन्होंने बताया कि कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। किसी भी सरकारी अस्पताल, स्वास्थ्य उपकेन्द्र या स्वास्थ्य कार्यकर्ता के दौरे पर जांच के लिए रक्त पटिका की सूक्ष्म दर्शी द्वारा जांच पर मलेरिया की पुष्टि होने पर मूल उपचार मूुफ्त दिया जाता है। उन्होंने बताया कि मलेरिया के लिए खून की जांच व उपचार निःशुल्क किए जाते हैं। उन्होंने लोगों से इन सेवाओं का लाभ उठाने का आग्रह किया ताकि मलेरिया फैलने पर रोक लगाई जा सके।
मच्छरों पर नियन्त्रण रखें
उन्होंने बताया कि मलेरिया फैलाने के लिए मच्छर उतरदाई है, इन पर नियन्त्रण पाना जरुरी है। उन्होंने बताया कि मच्छर हमेशा खडे पानी में अण्डे देता है इस लिए खुले तौर पर कभी भी पानी खडा न होने दें। उन्होंने बताया कि जहां कहीं पानी स्टोर किया जाए उसे भली प्रकार ढक कर रखें ताकि मच्छर प्रवेश न कर सके।
घरों के आस-पास गढढों को भर दें और नालियों की सफाई बनाए रखें ताकि पानी का ठहराव सम्भव न हो। सप्ताह में एक बार सूखा दिवस मनाएं, कूलरों, गमलों, और डिब्बों का पानी निकाल कर इन्हें सूखा दंे। सोते समय कीटनाशक से उपचारित मच्छरदानी का प्रयोग करें। घर के दरवाजों और खिडकियों में जालीदार पल्ले लगवाएं। शरीर के नंगे भागों जैसे हाथ, पैर, मंुह पर मच्छर भगाने वाली क्रीम का प्रयोग करें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपडे पहने। गर्भवती महिलाओं और बच्चों को विशेषकर मच्छरों से बचाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि छोटे गढों को मिट्टी से भर कर, बड़े गढों में खड़े पानी में मिट्टी तेल या प्रयोग किए गए मूवआयल की बूंदे डाल कर या मच्छर द्वारा अण्डे देने के स्थानों पर लार्वा भक्षक गंम्बूजिया मच्छली डाल कर, मच्छर के लार्वा पैदा होने पर रोक लगाई जा सकती है।
उन्होंने बताया कि प्रयोगशाला में रक्त की जांच से रोग का पता लगाया जाता है। मलेरिया का विशेष उपचार उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि चिकित्सक की सलाह के बगैर कोई दवा न लें।
उन्होंने बताया कि जब तक मलेरिया रोगी का मूल उपचार न किया जाए उसका बुखार उतर जाने पर भी मलेरिया परजीवी शरीर में समाए रहते हैं। शरीर धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है। दूसरी ओर ऐसा रोगी अन्य स्वस्थ लोगों तक मलेरिया संक्रमण फैला सकता है। उन्होंने कहा कि बुखार आने पर रक्त की जांच मलेरिया के लिए अवश्य करवाएं।
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